इंदिरा गांधी का जीवन परिचय

Indira Gandhi Biography In Hindi, इंदिरा गांधी जी का जन्म 19 नवम्बर 1917 को इलाहाबाद के एक कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ था। उनके पिता जवाहरलाल नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी नेता थे। उनकी माता का नाम कमला नेहरु थे। इंदिरा नेहरु अपने माता पिता की इकलौती सन्तान थी क्योंकि उनके एक छोटे भाई की बचपन में ही मौत हो गयी थी। इंदिरा नेहरु का बचपन बहुत उदासी और अकेलेपन में बीता था क्योंकि उनके पिता अक्सर राजनितिक कार्यो में व्यस्त रहते थे और माता अक्सर बीमार रहती थी जिनकी बाद में टीबी के कारण मौत हो गयी थी।

Indira Gandhi Biography
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इंदिरा नेहरु का अपने पिता से सम्पर्क केवल पत्रों तक ही सीमित था क्योंकि उनके पास राजीनीतिक कारणों से हमेशा बाहर रहना पड़ता था। इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की शिक्षा – इलाहाबाद, पुणा, बम्बई, कोलकता मे हुई, उच्च शिक्षा के लिए इगलेंड के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया कुछ कारण वश उन्हें उपाधि लिए बगैर शिक्षा छोड़कर अपने देश वापस आना पड़ा। इनका विवाह फिरोज गांधी के साथ 1942 में हुआ था।

इंदिरा गांधी (Indira Gandhi), भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की बेटी थी। इंदिरा ने अपने पापा के राष्ट्रस्तरीय संस्था की 1947-1964 तक मुख्यमंत्री के रूप में सेवा की। उनके इस योगदान को देखते हुए उन्हें 1959 में राष्ट्रिय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। 1964 में उनकी पिता की मृत्यु के बाद, इंदिरा जी ने कांग्रेस पार्टी के नेता बनने के संघर्ष को छोड़ दिया और और लाल बहादुर शास्त्री की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने की ठानी।

शास्त्री की मृत्यु के बाद विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस की अध्यक्षा इंदिरा गाँधी ने मोरारजी देसाई को हराया, और भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी। प्रधानमंत्री होने के साथ ही इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) अपनी राजनितिक क्रूरता और बेमिसाल केन्द्रीकरण के लिए जानी जाती। वो स्वतंत्रता के लिए पकिस्तान का साथ देने भी तैयार रही उन्होंने पाकिस्तान के स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका साथ दिया जिससे पकिस्तान ने विजय हासिल की और बांग्लादेश की निर्मिती हुई। इंदिरा गाँधी (Indira Gandhi) ने 1975 से 1977 तक राज्यों में आपातकाल की स्थिति घोषित की और सभी राज्यों में इसे लागू करने का भी आदेश किया. 1984 में जब वह पंजाब के हरमंदिर साहिब, अमृतसर को आदेश दे रही थी तभी उनके सीख अंगरक्षक द्वारा उनकी हत्या की गयी।

शुरू में संजय गांधी को उनका वारिस चुना गया था, लेकिन एक उड़ान दुर्घटना में उनकी मृत्यु के बाद, उनकी माँ ने अनिच्छुक राजीव गांधी को पायलट की नौकरी परित्याग कर फरवरी 1981 में राजनीति में प्रवेश के लिए प्रेरित किया। इन्दिरा की मृत्यु के बाद राजिव गांधी प्रधानमंत्री बनें। मई 1991 में उनकी भी राजनैतिक हत्या हुई, इसबार लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम के आतंकवादियों के हाथों हुई। राजीव की विधवा, सोनिया गांधी ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को 2004 के लोक सभा निर्वाचन में एक आश्चर्य चुनावी जीत का नेतृत्व दिया।

सन् 1966 में जब श्रीमती गांधी प्रधानमंत्री बनीं, कांग्रेस दो गुटों में विभाजित हो चुकी थी, श्रीमती गांधी के नेतृत्व में समाजवादी और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में रूढीवादी। मोरारजी देसाई उन्हें "गूंगी गुड़िया" कहा करते थे। 1967 के चुनाव में आंतरिक समस्याएँ उभरी जहां कांग्रेस लगभग 60 सीटें खोकर 545 सीटोंवाली लोक सभा में 297 आसन प्राप्त किए।

उन्हें देसाई को भारत के भारत के उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में लेना पड़ा। 1969 में देसाई के साथ अनेक मुददों पर असहमति के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस विभाजित हो गयी। वे समाजवादियों एवं साम्यवादी दलों से समर्थन पाकर अगले दो वर्षों तक शासन चलाई। उसी वर्ष जुलाई 1969 को उन्होंने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। 1971 में बांग्लादेशी शरणार्थी समस्या हल करने के लिए उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान की ओर से, जो अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे, पाकिस्तान पर युद्ध घोषित कर दिया।

1971 के युद्ध के दौरान राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के अधीन अमेरिका अपने सातवें बेड़े को भारत को पूर्वी पाकिस्तान से दूर रहने के लिए यह वजह दिखाते हुए कि पश्चिमी पाकिस्तान के खिलाफ एक व्यापक हमला विशेष रूप से कश्मीर के सीमाक्षेत्र के मुद्दे को लेकर हो सकती है, चेतावनी के रूप में बंगाल की खाड़ी में भेजा। यह कदम प्रथम विश्व से भारत को विमुख कर दिया था और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने अब तेजी के साथ एक पूर्व सतर्कतापूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति को नई दिशा दी। भारत और सोवियत संघ पहले ही मित्रता और आपसी सहयोग संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके परिणामस्वरूप 1971 के युद्ध में भारत की जीत में राजनैतिक और सैन्य समर्थन का पर्याप्त योगदान रहा।
1964 में पंडित नेहरूजी के देहांत के बाद लालबहादुर शास्त्री भारत के प्रधानमंत्री बने उन्ही के कार्यकाल में इंदिरा गांधी ने सूचना और नभोवानी खाते का मंत्री पद संभाला।

1966 मे लालबहादुर शास्त्री जी के निधन के बाद इंदिरा जी का प्रधानमंत्री पद के लिये चयन हुआ। और हिन्दुस्थान के नक़्शे पर प्रथम महिला प्रधानमंत्री होनेका सम्मान मिला। 1969 में कॉग्रेस पार्टी में दरार गिरने के कारन पुराने कॉग्रेस नेताओ के नेतत्व में सिंडिकेट काग्रेस और इंदिरा गांधी के नेतृत्व में इंडिकेट कॉग्रेस ऐसे दो पार्टियों का जन्म हुआ। इसी वर्ष उन्होंने पुरोगामी और लोक कल्याणकारी योजनाओ की अमल बजा बड़ी ताकत के साथ शुरू की।

देश की चौदा बडी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया और संस्थानिकोका तनखा रद्द करने का फैसला किया। 1971 में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने लोकसभा विसर्जन करके लोकसभा की सहायता पूर्व चुनाव की घोषणा की। इस चुनाव में उन्होंने ‘गरीबी हटाव’ की घोषणा दी। इस लोकसभा चुनाव में उनके पक्ष को बहुमत से विजय प्राप्त हुयी। कॉग्रेस पक्ष के सभी सूत्र उनके हाथ में केन्द्रित हुये। और वो कॉग्रेस की सर्वोच्च नेता बनी।

भारत पर बार बार हमला करने वाले पाकिस्तान के पूर्व बंगाल में पीड़ित लोगो को स्वतंत्र करने के लिये सेन्य सहायता करके उन्हें भारतव्देष्टया पाकिस्तान के ‘बांग्लादेश’ और पाकिस्तान ऐसे दो टुकडे किये। उसके पहले इंदिरा गांधीने पाकिस्तान के अमेरिका से अच्छे संबधो को ध्यान में रखकर बड़ी चतुराई से १९७१ में सोव्हिएत यूनियन से बीस साल का ऐतिहासिक ऐसी दोस्ती और परस्परिक सहयोग करार कराया।

उनकी ये असामान्य कामगिरी ध्यान में लेकर राष्ट्रपति ने उनका 1971 में ‘भारतरत्न’ इस सर्वोच्च नागरी सम्मान प्रदान करके उनका गौरव किया गया। 1972 में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने पाकिस्तान से व्दिपक्षीय ‘शिमला समझौता’ करके अपना मुस्तद्देगिरी का दर्शन कराया। 1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालयने इंदिरा जी के रायबरेली मतदार संघ में से लोकसभा पर चुने जाने को अवैध ठराया गया।

इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने 1975में आपातकालीन लागू की, पर भारत की लोकशाही प्रेमी जनता उस वजह से नाराज हुयी। और 1977 के लोकसभा चुनाव में कॉग्रेस की हार हुयी। खुद इंदिरा गांधी की रायबरेली मतदार संघ मे से हार हुयी. इसका परिणाम ऐसा हुवा जनता पक्ष के हट में सत्ता गयी पर उस पक्ष के और सरकार में के पार्टी घटकों का झगडा होने के कारण 1980 में मदत पूर्व हुये चुनाव में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने दै दी जीत हुयी और इंदिरा जी ओर एकबार फिर प्रधानमंत्री बनी। 1982 में दिल्ली में नौवी आशियायी स्पर्धेका यशस्वीरीत्या आयोजन करने में उनका महत्वपूर्ण हिस्सा था।

1980 के दशक में सिख अलगाववादी आंदोलन भारत में शुरू हुआ जिसका इंदिरा गांधी ने दमन किया जिसे “ऑपरेशन ब्लू स्टार” नाम दिया । इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने स्वर्ण मन्दिर में एक सैन्य अभियान चलाया जिसमे गांधीजी ने 70000 सैनिको को वहा पर भेजा जिसमें से 450 लोग मारे गये। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी के भरोसे मंद सिख अंगरक्षक ने बन्दूक की गोली से मार दिया।

उसके बाद एक दूसरे अंगरक्षक ने भी कई गोलिया दागी। इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को अस्पताल ले जाते वक़्त रास्ते में ही मौत हो गयी। इंदिरा गांधी ने मृत्यु से एक दिन पहले उड़ीसा में एक भाषण दिया था कि “अगर मै देश की सेवा करते करते मर जाती हूँ तो मुझे इस पर नाज होगा। मुझे विश्वास है कि मेरे खून का हर कतरा इस राष्ट्र के विकास में योगदान करेगा और उसे मजबूत बनाएगा। इस तरह इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को अपनी मृत्यु का पूर्वाभास हो गया था।

इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं तथा भारतरत्न प्राप्त करने वाली पहली महिला, इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को सन 1971 में ‘भारतरत्न’ से नवाजा गया।

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