हे वीर पुरुष, पुरुषार्थ करो, तुम अपना मान बढ़ाओ न। अपनी इच्छा शक्ति के बल पर, उनको जवाब दे आओ न। वे वीर पुरुष होते हीं नहीं, जो दूजों को तड़पाते हैं। . . . Read More . . .
छोटी सी नाजुक कली, और फिर गुलाब बन गयी। किसी का सवाल बन गयी, तो किसी का खयाल बन गयी। छोटी सी नाजुक कली, और फिर गुलाब बन गयी। निखरता शबाब बन गयी, ग़ज़ल की किताब बन गयी। . . . Read More . . .
इस बरस की होली कुछ याद आ रहा है। बचपन की यादें मुझको मन को हिला रहा है। पापा के रंग प्यारे मम्मी की बो मलाई छोटी-छोटी पिचकारी संग छोटे बहन-भाई। . . . Read More . . .
गोरी का रंग एक टके का बरस बीते आई है होली मस्त होने को रंगीन होली में, गोरे पिया ने रंग दी गोरी पिया को रंग गई काली छोरी गोरी रंगी गई है अपने रंग में पिया रंगे घर-घर में रंगीन होली...... . . . Read More . . .
घर-घर पकवानों के मेले, सबके मन को खूब लुभाता। होली का जो पर्व है आता बच्चे, बड़े, बुजुर्ग सभी के मन में हर्ष उमंगे लाता। . . . Read More . . .