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मिशन इन्द्रधनुष

Mission Indradhanush Schemes In Hindi, मिशन इंद्रधनुष अभियान को भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सभी बच्चों को टीकाकरण के अंतर्गत लाने के लिये 'मिशन इंद्रधनुष' को सुशासन दिवस के १५ दिसंबर १०१४ अवसर पर प्रारंभ किया गया था ' इंद्रधनुष के सात रंगों को प्रदर्शित करने वाला मिशन इंद्रधनुष का उद्देश्य उन बच्चों का २०२० तक टीकाकरण करना है जिन्हें टीके नहीं लगे हैं या डिफ्थेरिया, बलगम, टिटनस, पोलियो, तपेदिक, खसरा तथा हेपिटाइटिस-बी को रोकने जैसे सात टीके आंशिक रूप से लगे हैं।

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यह कार्यक्रम हर साल ५ प्रतिशत या उससे अधिक बच्चों के पूर्ण [टीकाकरण] में तेजी से वृद्धि के लिए विशेष अभियानों के जरिए चलाया जाएगा। पहले चरण में देश में २०१ जिलों की पहचान की है, जिसमें ५० प्रतिशत बच्चों को टीके नहीं लगे हैं या उन्हें आंशिक रूप से टीके लगाए गए हैं। इन जिलों को नियमित रूप से टीकाकरण की स्थिति सुधारने के लिए लक्ष्य बनाया जाएगा। मंत्रालय का कहना है कि २०१ जिलों में से ८२ ज़िले केवल चार राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश तथा राजस्थान से हैं और चार राज्यों के ४२ ज़िलों में २५ प्रतिशत बच्चों को टीके नहीं लगाए गए हैं या उन्हें आंशिक रूप से टीके लगाए गए हैं।

भारत में टीकों से वंचित या आंशिक टीकाकरण वाले करीब २५ प्रतिशत बच्चे इन चार राज्यों के ८२ ज़िलों में हैं। मिशन इंद्रधनुष के तहत पहले चरण में २०१ जिलों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का लक्ष्य तय किया है तथा २०१५ में दूसरे चरण में २९७ ज़िलों को लक्ष्य बनाया गया है ' मिशन के पहले चरण का कार्यान्वयन २०१ उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में ७ अप्रैल २०१५ पर विश्व स्वास्थ्य दिवस से प्रारंभ हुआ। '

मिशन इन्द्रधनुष का शुभारंभ :-

मिशन इन्द्रधनुष (Mission Indradhanush) का शुभारंभ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा २५ दिसंबर २०१४ को किया गया था। इस मिशन का उद्देश्य जन्म से लेकर दो साल तक के बच्चों सहित गर्भवती महिलाओं को सात प्रकार की बीमारियों से रोकथाम के टीके लगाना हैं। यह सुनिश्चित करना हैं।

मिशन इन्द्रधनुष (Mission Indradhanush) का उद्देश्य इन्द्रधनुष के सात रंगों वाले हमारे जीवन में किसी भी तरह की टीका निवारणीय बीमारियों के खिलाफ़ सभी बच्चों का टीकाकरण करना हैं।

१. डिप्थीरिया।
२. काली खांसी (काली खांसी)।
३. टेटनस।
४. क्षय रोग।
५. पोलियो।
६. हेपेटाइटिस बी।
७. खसरा।

इसके अलावा, इस अभियान के अंतर्गत चयनित राज्यों में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) और हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (एचआईबी) के लिए भी टीके प्रदान किये जाएगें।

मिशन इन्द्रधनुष का प्रथम चरण :-

प्रथम चरण के लिए, सरकार द्वारा पूरे भारतवर्ष के अठाईस राज्यों के दो सौ एक जिलों में आंशिक रूप से प्रतिरक्षित और अप्रतिरक्षित सभी तरह के बच्चों की पहचान करके उनके प्रतिरक्षितकरण करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

मिशन इन्द्रधनुष (Mission Indradhanush) के प्रथम चरण में कुल चार चरण थे। इस अभियान का पहला चरण ७ अप्रैल २०१५ को शुरू किया गया था। इस चरण को एक सप्ताह से अधिक समय तक जारी रखा गया था। इसके अलावा, दूसरे, तीसरे और चौथे चरण को मई, जून और जुलाई महीने की सात तारीख से एक सप्ताह से अधिक के लिए आयोजित किया गया था। इस मिशन का प्रथम चरण अत्यधिक सफल रहा था।

मिशन इन्द्रधनुष के प्रथम चरण के मुख्य बिंदु नीचे दिए गए हैं:

  • मिशन इन्द्रधनुष के इन चार चरणों के दौरान कुल ९.४ लाख सत्रों का आयोजन किया गया था।
  • बच्चों सहित गर्भवती महिलाओं को दो करोड़ टीके लगाए थे।
  • बीस लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं को टेटनस टाक्साइड के टीके लगाए थे।
  • इसमें ७५.५ लाख बच्चों को टीके लगाए थे, जिनमें लगभग २० लाख बच्चों का पूर्ण टीकाकरण किया गया था।
  • सभी बच्चों को डायरिया/अतिसार/दस्त से सुरक्षा प्रदान करने के लिए अधिक से अधिक ५७ लाख जिंक टैबलेट और १६ लाख ओआरएस पैकेट निशुल्क बांटे गए।

मिशन इन्द्रधनुष का दूसरा चरण :-

मिशन इन्द्रधनुष (Mission Indradhanush) के दूसरे चरण का शुभारंभ ७ अक्टूबर २०१५ को किया गया। इस अभियान के दूसरे, तीसरे और चौथे चरण का शुभारंभ ७ नवंबर, ७ दिसंबर २०१५ और ७ जनवरी २०१६ से किया जाएगा।

इस अभियान का उद्देश्य तीन सौ बावन जिलों में पूर्ण टीकाकरण प्राप्त करना हैं, जिसमें दो सौ उनासी मध्य प्राथमिकता जिलों, उत्तर-पूर्व राज्यों के तैंतीस जिलों और तथा प्रथम चरण के दौरान बढ़ी संख्या में चालीस जिलों में टीकाकरण से वंचित हुए बच्चों का टीकाकरण शामिल हैं।

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