श्री सरस्वती माता की आरती, Sarswati Mata Ki Aarti in Hindi, सरस्वती हिन्दू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं। वे ब्रह्मा की मानसपुत्री हैं जो विद्या की अधिष्ठात्री देवी मानी गई हैं। इनका नामांतर 'शतरूपा' भी है। इसके अन्य पर्याय हैं, वाणी, वाग्देवी, भारती, शारदा, वागेश्वरी इत्यादि। ये शुक्लवर्ण, श्वेत वस्त्रधारिणी, वीणावादनतत्परा तथा श्वेतपद्मासना कही गई हैं। इनकी उपासना करने से मूर्ख भी विद्वान् बन सकता है। माघ शुक्ल पंचमी को इनकी पूजा की परिपाटी चली आ रही है। देवी भागवत के अनुसार ये ब्रह्मा की स्त्री हैं।
जय सरस्वती माता, जय जय हे सरस्वती माता।
दगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता।।
जय सरस्वती माता, जय जय हे सरस्वती माता।
चंद्रवदनि पदमासिनी, घुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी।।
जय सरस्वती माता, जय जय हे सरस्वती माता।
बायेँ कर में वीणा, दायें कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला।।
जय सरस्वती माता, जय जय हे सरस्वती माता।
देवी शरण जो आयें, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया।।
जय सरस्वती माता, जय जय हे सरस्वती माता।
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह और अज्ञान तिमिर का जग से नाश करो।।
जय सरस्वती माता, जय जय हे सरस्वती माता।
धुप, दिप फल मेवा माँ स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, भव से उद्धार करो।।
जय सरस्वती माता, जय जय हे सरस्वती माता।
माँ सरस्वती जी की आरती जो कोई नर गावें।
हितकारी, सुखकारी ग्यान भक्ती पावें।।
जय सरस्वती माता, जय जय हे सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता।
जय सरस्वती माता, जय जय हे सरस्वती माता।।
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