श्री गोवर्धन जी की आरती

श्री गोवर्धन जी की आरती, Govardhan Ji Ki Aarti in Hindi, दीपावली की अगली सुबह गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है।

Govardhan Aarti Religious Aarti
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"आरती"

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहो।

तोपे पान चढ़ें, तो पे फुल चढ़ें,
और चढ़ें दूध की धार ओ धार।

तेरे कानन में कुंड़ल सोहे,
तेरे गले वैजंती माल।

तेरे सात कोस की परिकम्मा,
तेरी दे रहे नर और नार।

तेरे जतीपुर में दूध चढ़त है,
तेरी हो रही जै जै कार।

तेरे मानसी गंगा बहे,
तेरी माया अपरम्पार।

ब्रज मंडल जब डूबत देखा,
ग्वाल बाल जब व्याकुल देखे,
लिया नख पर गिरवर धार।

व्रन्दावन की कुंज गली में,
वो तो खेल रहे नंदलाल।

"चंद्र सखी" भज बाल कृष्ण छवि,
तेरे चरणों पै बलिहार।।

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