श्री यमुना जी की आरती, Yamuna Ji Ki Aarti in Hindi, भारतवर्ष की सर्वाधिक पवित्र और प्राचीन नदियों में यमुना की गणना गंगा के साथ की जाती है। ब्रजमंडल की तो यमुना एक मात्र महत्वपूर्ण नदी है। जहाँ तक ब्रज संस्कृति का संबध है, यमुना को केवल नदी कहना ही पर्याप्त नहीं है। वस्तुतः यह ब्रज संस्कृति की सहायक, इसकी दीर्ध कालीन परम्परा की प्रेरक और यहाँ की धार्मिक भावना की प्रमुख आधार रही है।
धन्य-धन्य श्री यमुने, धन्य-धन्य श्री जमुने।
कलि के कल-मल हरनी, सर्व पाप दमने।।
रवि की आप सुता हो, केशव की पटरानी।
तुम्हरे यश को गावें, नारद शुक ज्ञानी।।
संध्या समय निरजन, जो कोई नित्य करे।
रोग शोक मिट जावे, दुःख जा दूर परे।।
कार्तिक सुदी को, कोई स्नान करे।
यम की त्रास न पावे, नित जो ध्यान धरे।।
यमुना जी की आरती, जो कोई नर गावै।
सुख-संपत्ति घर आवै, मनवांछित फल पावै।।
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