पाइथागोरस का जीवन परिचय, Pythagoras Biography in Hindi, पाइथागोरस का जन्म सामोस (Samos) में हुआ, जो एशिया माइनर (Asia Minor) के किनारे पर, पूर्वी ईजियन में एक यूनानी द्वीप है। उनकी माँ पायथायस (समोस की निवासी) और पिता मनेसार्चस (टायर (Tyre) के एक फोनिसियन (Phoenicia) व्यापारी) थे। जब वे जवान थे तभी उन्होंने, अपने जन्म स्थान को छोड़ दिया और पोलिक्रेट्स (Polycrates) की अत्याचारी (tyrannical) सरकार से बच कर दक्षिणी इटलीमें क्रोटोन (Croton) केलेब्रिया (Calabria) में चले गए। लम्ब्लिकस . . . Read More . . .
जे आर आर टोल्कियन का जीवन परिचय, J R R Tolkien Biography in Hindi, जॉन रोनल्ड राउल टोल्किन (John Ronald Reuel Tolkien, जनवरी 3, 1882—सितम्बर 2, 1973) अंग्रेज़ी भाषा के एक मशहूर लेखक और कहानीकार थे। वो एक रोमन कैथोलोक ब्रिटिश थे। उनके सबसे प्रसिद्ध कार्य उनका उपन्यास समूह है, जिसमें द हॉबिट (The Hobbit), द लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स (The Lord of the Rings) और द सिल्मैरिलॉन (The Silmarillon) शामिल हैं। हॉलिवुड की अब तक की सबसे मशहूर . . . Read More . . .
होमर का जीवन परिचय Homer Biography in Hindi, होमर यूनान के ऐसे प्राचीनतम कवियों में से हैं जिनकी रचनाएँ आज भी उपलब्ध हैं और जो बहुमत से यूरोप के सबसे महान कवि स्वीकार किए जाते हैं। वे अपने समय की सभ्यता तथा संस्कृति की अभिव्यक्ति का प्रबल माध्यम माने जाते हैं। अन्धे होने के बावजूद उन्होंने दो महाकाव्यों की रचना की - इलियड और ओडिसी। . . . Read More . . .
हिरोडोटस का जीवन परिचय, Herodotus Biography in Hindi, हिरोडोटस यूनान का प्रथम इतिहासकार एवं भूगोलवेत्ता था। हेरोडोटस का संस्कृत नाम हरिदत्त था वह वास्तव में एक मेड था। इसी कारण उसने लगातार आर्यों के मेड इतिहास पर अपनी नज़र बनाये रखी थी। उसके द्वारा ही पारस के मेड आर्य राजाओं का सही इतिहास पता चलता है। ये इतिहास के जनक माने जाते है। इन्होने अपने इतिहास का विषय पेलोपोनेसियन युद्ध को बनाया था। इन्होने हीस्टोरिका नामक पुस्तक लिखी। . . . Read More . . .
मार्टिन लुथर का जीवन परिचय, Martin Luther Biography in Hindi, लूथर का जन्म जर्मनी की आइसलेवन नामक नगरी में हुआ था। उनके पिता हैंस लूथर खान के मजदूर थे, जिनके परिवार में कुल मिलाकर आठ बच्चे थे और मार्टिन उसकी दूसरी संतान थे। अट्ठारह वर्ष की अवस्था में मार्टिन लूथर एरफुर्ट के नए विश्वविद्यालय में भरती हुए और सन् 1505 में उन्हें एम.ए. की उपाधि मिली। इसके बाद वह अपने पिता के इच्छानुसार विधि (कानून) का अध्ययन कने लगे . . . Read More . . .