जे. आर. आर. टोल्कियन का जीवन परिचय

जे आर आर टोल्कियन का जीवन परिचय, J R R Tolkien Biography in Hindi, जॉन रोनल्ड राउल टोल्किन (John Ronald Reuel Tolkien, जनवरी 3, 1882—सितम्बर 2, 1973) अंग्रेज़ी भाषा के एक मशहूर लेखक और कहानीकार थे। वो एक रोमन कैथोलोक ब्रिटिश थे। उनके सबसे प्रसिद्ध कार्य उनका उपन्यास समूह है, जिसमें द हॉबिट (The Hobbit), द लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स (The Lord of the Rings) और द सिल्मैरिलॉन (The Silmarillon) शामिल हैं। हॉलिवुड की अब तक की सबसे मशहूर फ़िल्मों में से एक फ़िल्मी शृंखला द लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स उन्हीं के उपन्यास का फ़िल्मांकन है।

टोल्किन जर्मनिक, ऐंग्लो सैक्सन और नॉर्स मिथकों से बहुत प्रभावित थे और वो ब्रिटिश लोगों के लिये एक अच्छी पौराणिक कहानी लिखना चाहते थे। अपनी जवानी में वो प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सिपाही बन कर लड़े थे और उनको अपने कई दोस्तों के युद्ध में मौत का दुख सहना पड़ा था। इन बातों की झलक टोल्किन के कार्यों में भी दिखती है। युद्ध के बाद उन्होंने एक वृहत काल्पनिक कहानी लिखना शुरु किया, जिसने सबसे पहले द हॉबिट नाम के उपन्यास का रूप लिया। उसका सिलसिला द लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स में जारी रहा। उनकी मौत के बाद उनके पुत्र क्रिस्टोफ़र टोल्किन ने सिलसिला जारी रखते हुए कुछ अन्यौपन्यास भी प्रकाशित किये।

J R R Tolkien Jeevan Parichay Biography
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द लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स (The Lord of the Rings) अंग्रेज़ी में रचित एक उपन्यास है जिसके (ब्रिटिश) लेखक जे. आर. आर. टोल्किन हैं। ये उपन्यास असल में तीन किताबों का सिलसिला है, जो ख़ुद की टोल्किन के एक पिछले कार्य द हॉबिट की एक कड़ी की तरह है। इन उपन्यासों का 2001, 2002 और 2003 में तीन हॉलिवुड फ़िल्मों में फ़िल्मांकन हुआ था, जिसके निदेशक पीटर जैक्सन हैं। तीनों फ़िल्में हॉलिवुड में धूम-धाम से हिट रहीं और इन्होंने कई ऑस्कर इनाम भी जीते। इस उपन्यास की कहानी काल्पनिक है। मध्य धरती (Middle Earth) इस उपन्यास में ज़िक्र एक काल्पनिक महाद्वीप है जो चारों तरफ़ से समन्दरों से घिरा हुआ है। इसके पश्चिम में एक और महाद्वीप है, जिसका नाम वालिनोर (en:valinor) है। वालिनोर देवताओं की भूमि है जहाँ इंसान नहीं जा सकते।

कहानी शुरू होती है मध्य धरती में एक शैतान काले राक्षस से, जिसका नाम था सौरॉन (Sauron) और जो काले जादू में माहिर था। प्रथम युग के अन्त में सौरॉन अपने शैतानी मालिक मोर्गोथ मेल्कॉर की देवताओं द्वारा हार से बच निकलता है। दूसरे युग में सौरॉन दुनिया का बादशाह बनने के सपने संजोने लगता है। इसके लिये वो तोहफ़ों के मालिक अन्नतर का सुन्दर भेस बनाकर गन्धर्वों (elves) के पास गया और उनके लोहारों के मुखिया केलेब्रिम्बोर (Celebrimbor) और दूसरे लोहारों को धोखे से फुसलाकर उनसे कई जादुई अंगूठियाँ बनवाईं। लेकिन रहस्यमयी और गुप्त तरीके से उसने स्वर्ण की एक और अंगूठी स्वयं बनायी : वो एक अंगूठी (The One Ring)। इसमें उसने दुनिया की सारी शैतानियत और जादुई ताकत भर दी। वो एक अंगूठी बाकी सभी अंगूठियों की स्वामिनी थी और उसको पहनने वाला बकी सभी अंगूठी पहनने वालों को अपना ग़ुलाम बना सकता था। ये योजना नाकामयाब होती है जब गन्धर्वों को इस धोखे का पता चलता है और वो अपने लिये बनायी तीन अंगूठियों को उतार देते हैं। सौरॉन गन्धर्वों ये युद्ध करने बाकी सारी अंगूठियाँ छीन लेता है। सात अंगूठियाँ सौरॉन ने बौनों के सरदारों को दीं और नौ इंसानों के सरदारों को। गन्धर्वों ने अपनी तीन अंगूठियाँ बचा कर छुपा लीं। बौने अपने आन्तरिक जादू की वजह से अंगूठियों से ख़ास प्रभावित नहीं हुए, पर इंसान प्रभावित हुए। अंगूठी पहनने वाले नौ इंसान कुछ ही सालों में शैतानी प्रेत (Nazgul) बन गये और अन्त तक सौरॉन के वफ़ादार नौकर बने रहे।

नूमेनोर (Numenor) द्वीप का राजा (इंसान) आर-फ़राजौन (Ar-Pharazôn) मध्य धरती पर कब्ज़ा करने आता है और सौरोन को बन्दी बनाकर नूमेनोर ले जाता है। उल्टे वहाँ सौरॉन राजा को फुसलाकर उसे दुष्टता के रास्ते ले जाता है और नूमेनोर द्वीप और लगभग सभी नूमेनोरवासियों का सर्वनाश करा देता है। कुछेक अच्छे नूमेनोरी इंसान मध्य भूमि तक बचकर पहुँच जाते हैं और वहाँ एक नयी सभ्यता बसाते हैं : गॉन्दोर (Gondor) का राज्य। इधर अमर सौरॉन एक दूसरा रूप लेकर वापिस मध्य भूमि पहुँचता है, बाकी नूमेनोरियों को ख़त्म करने। इस समय गन्धर्व और इंसान एक मैत्री संगठन बनाते हैं और मिलकर सौरॉन और उसकी दैत्यों (orcs) की सेना को हरा देते हैं। नूमेनोरियों का युवराज इसील्दूर एलेन्दिल (Isildur Elendil) अपने मृत पिता की टूटी हुई तल्वार नार्सिल से सौरॉन की उंगली काटकर उससे वो एक अंगूठी छीन लेता है और सौरॉन का जिस्मानी वजूद ख़त्म कर देता है। सौरॉन की प्रेतात्मा कहीं और भाग जाती है। इस तरह तीसरे युग की शुरुआत होती है।

अब नूमेनोरोयों के नये राजा इसील्दूर का कर्त्तव्य बनता था कि वो उस एक अंगूठी को विनाश के पर्वत (Mount Doom or Orodruin), जो एक ज्वालामुखी था, में जलते हुए लावे में डाल दे, क्योंकि इस दुष्ट अंगूठी और इसके स्वामी के सर्वनाश का कोई और तरीका नहीं था। लेकिन उस एक अंगूठी की अपनी एक जादुई चाहत थी, किसी तरह अपने स्वामी सौरॉन के पास वापिस जाने की। उस जादुई अंगूठी के प्रभाव से इसील्दूर ने उसे नष्ट नहीं किया बल्कि अपने पास रख लिया। बाद में कुछ दैत्यों ने उसे मार डाला और उसका शव नदी में गिरा दिया। इस तरह वो शैतानी अंगूठी पानी में गुम हो गयी, एक पूरे युग के लिये। ये सारी कहानी ज़्यादातर द सिल्मैरिल्यॉन उपन्यास में ज़िक्र है।

द हॉबिट उपन्यास में एक इंसान-जैसी नस्ल का वर्णन है, जो हॉबिट (Hobbit) कहे जाते थे। हॉबिट शान्तिप्रिय नन्हें इंसान होते थे, लगभग बौनों के कद जितने। गोल्लुम (en:Gollum, जन्म : स्मीगोल Smeagol) नाम के एक बहिष्कृत हॉबिट के हाथों एक बार वो एक अंगूठी लग जाती है। गोल्लुम को वो शैतानी अंगूठी एक पागल, भद्दे और दुष्ट जानवर-नुमा जीव में तबदील कर देती है। एक हॉबिट बिल्बो बैगिन्स (en:Bilbo Baggins) को अपनी रोमांचक यात्रा के दौरान किसी तरह (धोखा करके) गोल्लुम से वो शैतानी अंगूठी मिल जाती है। बिल्बो के बुढ़ापे से द लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स उपन्यास की कहानी शुरू होती है।

वो शैतानी अंगूठी कोई जड़ या अचेतन वस्तु नहीं थी, बल्कि उसमें अपनी ख़ुद की एक चाहत, एक इच्छा थी। अंगूठी अपना अल्पकालिक स्वामी ख़ुद ही चुनती थी, जिससे कि वो अपने सही मालिक सौरॉन के पास वापिस पहुँच सके। अगर कोई भी उस अंगूठी को अपनी उंगली में पहने, तो वो दुनिया की नज़र से ग़ायब हो जाता था (तब तक के लिये, जब तक उसने अंगूठी पहनी हुई हो)। कुछ वक़्त बाद सौरॉन प्रेतात्मा के रूप में वापिस मॉर्डोर की शैतानी मीनार बारद-दूर में वापिस आ गया। उसने एक विशाल आँख का रूप ले लिया, जो आग से घिरी रहती थी और हमेशा वो अंगूठी ढूंढती रहती थी। अगर कोई व्यक्ति वो एक अंगूठी पहने तो ये तलाश तेज़ हो जाती थी और पहनेवाले का अता-पता सौरॉन को कुछ-कुछ महसूस होने लगता था। अगर उस वक़्त आस-पास कोई नाज़्गुल हो तो उसे तुरन्त अंगूठी पहननेवाले का पता लग जाता था। अंगूठी को पहनने वाला तो जैसे उसे पहनकर किसी दूसरी ही धुन्धली दुनिया में पहुँच जाता था। उस व्यक्ति को धुन्धला दिखायी देने लगता था, लेकिन सुनने की शक्ति ख़ूब तेज़ हो जाती थी। कभी कभी ऐसे हालात में सौरॉन और पहननेवाले को एक दूसरे की झलक भी दिख जाती थी। और तो और, अंगूठीवाहक को इस अंगूठी की लत लग जाती थी और उसे इस अंगूठी से एक अजीब बन्धन हो जाता था।

वो अंगूठी शुद्ध सोने की बनी थी और उसमें कोई रत्न नहीं जुड़ा था। उसके अन्दर के विलय में मॉर्डोर की शैतानी भाषा में लिखा था : "Ash nazg durbatulûk, ash nazg gimbatul, ash nazg thrakatulûk agh burzum-ishi krimpatul."

द लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स--द फ़ॅलोशिप ऑफ़ द रिंग (The Lord of the Rings—The Fellowship of the Ring, यानि, अंगूठियों का मालिक--अंगूठी की मैत्री) इस सिलसिले की पहली कड़ी थी। इस पूरी शृंखला का नायक है शायर नाम के एक छोटे से गाँव का एक हॉबिट फ़्रोडो बैगिन्स (Frodo Baggins)। फ़्रोडो बिल्बो बैगिन्स का भतीजा था।

नोट करें कि अपने जीनियस का परिचय देते हुए टोल्किन ने न केवल एक पूरी पौराणिक गाथा की रचना की, बल्कि उसमें कम से कम दो नयी क्रित्रिम भाषाएँ भी बनायीं : ख़ास तौर पर गन्धर्वों की शास्त्रीय भाषा क्वेन्या (Quenya) और उनकी लोकभाषा सिन्दारिन (en:Sindarin)। दोनो भाषाओं के कई शब्द और वक्य पूरे उपन्यास में अंग्रेज़ी के बीच छितरे हुए हैं।

जब बिल्बो ने अपनी 111वीं सालगिरह पर सन्यास लेने की ठानी, तो वो एक अंगूठी उसने फ़्रोडो को बाकी ज़ायदाद के साथ विसासत में दे दी। उस समय कई जादूगरों (Wizards or Maiar) में से एक वृद्ध जादूगर गैंडैल्फ़ (Gandalf, बिल्बो का दोस्त) को शक हुआ कि वो सोने की अंगूठी कहीं वो खोई हुई शैतानी अंगूठी तो नहीं। गैंडैल्फ़ का शक सही निकला। उसी समय गोल्लुम से सौरॉन को खबर लगी कि अंगूठी शायर में है। सौरॉन ने तुरन्त नौ भयानक नाज़्गुल शायर को रवाना किये। उधर गैंडैल्फ़ ने फ़्रोडो और उसके दोस्त सैम गैम्जी (Samwise Gamgee) को शायर से अंगूठी निकालकर रिवेन्डेल (Rivendell) पहुँचाने की जिम्मेदारी दी, जहाँ गन्धर्वों के एक कौम का राजा एलरॉन्ड (Elrond) रहता था।

रास्ते में फ़्रोडो और सैम को उनके रिश्तेदार मेरियाडॉक ब्रैन्डीबक (Meriadoc Brandybuck, मॅरी) और पेरेग्रिन टुक (Peregrin Took, पिप्पिन) भी उनके साथ हो लिये। गैन्डैल्फ़ उनको पास के शहर में नहीं मिला, जैसा कि उसने वादा किया था। पर वहाँ फ़्रोडो को बचे-खुचे नूमेनोरियों का सरदार आरागॉर्न (Aragorn) ज़रूर मिला, जिसने उनकी काफ़ी मदद की। रिवेन्डेल के रास्ते में वेदरटॉप पहाड़ी पर नाज़्गुलों ने फ़्रोडो पर हमला किया और अंगूठी न देने पर नाज़्गुल सरदार अंग्मार के डायनराज (Witch-king of Angmar) ने फ़्रोडो को एक ज़हरीली जादुई तल्वार से ज़ख्मी कर दिया। एक अन्य गन्धर्व की मदद से फ़्रोडो रिवेन्देल पहुँचा जहाँ उसका इलाज हुआ।

उधर गैन्डैल्फ़ जादूगरों के सरदार सारुमान द ह्वाइट (Saruman the White) से अंगूठी के बारे में सलाह लेने इसेनगार्ड में ऑर्थैंक (Orthanc) की मीनार में गया। उसके अपने भोलेपन में सारुमान को सब सच सच बता दिया। लेकिन सारुमान के दिल में शैतानियत और लालच भर चुकी थी। उसने गैन्डैफ़ को मीनार के ऊपर कैद कर लिया और दैत्यों की एक अपनी सेना बनाने लगा - उरुक हाइ, जिनपर दिन के उजाले का कुप्रभाव नहीं पड़ता। गैन्डैफ़ ऑर्थैंक से भाग निकल कर रिवेन्डेल पहुँचा।

रिवेन्डेल में एल्रॉन्ड ने एक परिषद आहूत किया, जिसमें मध्य धरती की सभी आज़ाद नस्लों के प्रतिनिधि शामिल थे। वहाँ फ़्रोडो की शुरुआत पर ये फ़ैसला सुनाया गया कि फ्रोडो अंगूठीवाहक बनेगा और एस एक अंगूठी को मॉर्डोर जाकर क़यामत के पहाड़ में लावे के दरिये में फेंक देगा, जिससे अंगूठी और सौरॉन नेस्तानाबूद हो जायें। इन सब के लिये अंगूठी की मैत्री बनायी गयी, जिनमें थे : फ़्रोडो, सैम, मेरी, पिप्पिन, गैन्डैफ़, आरागॉर्न, बोरोमीर (गोन्डोर के कार्यवाहक शासनाधिकारी का बड़ा बेटा), लेगोलास (गन्धर्व) और गिम्ली (बौना)।

मैत्री ने कराध्रास (Caradhras) पर्वत शिखर के दर्रे से मॉर्डोर की तरफ़ निकलने की कोशिश की, लेकिन चेतनायुक्त कराध्रास ने उनको रास्ता नहीं दिया (फ़िल्म में ये हिस्सा सारुमान के काले जादू की वजह से था, जहाँ सारुमान ने कराध्रास को जगाया था)। मैत्री के पास और कोई राह न होते हुए उसको रास्ता बदलकर मोरिया की खदान (the mines of Moria) से ग़ुजरना पड़ा। वहाँ एक काले अग्निदानव बालरोग (Balrog) से लड़ते हुए गैन्डैफ़ खान की गहाराइयों में गिर गया। वहाँ से ये मैत्री गयी गन्धर्वों के एक दूसरे शहर में : लोथलोरियन (Lothlorien), जहाँ फ़्रोडो ने गन्धर्वरानी गालाद्रियल (Galadriel) के आइने में अपने कठिन भविष्य की कुछ झलकें देखीं। इसके बाद महानदी अन्दुइन में नावों के ज़रिये ये लोग गोन्डोर की सीमा में चले गये। वहाँ सारुमान के उरुक-हाइयों से उनका एक भयानक युद्ध हुआ जिसमें बोरोमीर मारा गया। फ़्रोडो ने ख़ुद से ये तय किया कि अब वही इस अंगूठी को मॉर्डोर तक ले जा सकता है और उसे ये राह अकेले ही चलनी होगी। लेकिन सैम की मन्नत पर फ़्रोडो और सैम दोनो ही मॉर्डोर की ओर निकल पड़े।

द लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स-द टू टावर्स (The Lord of the Rings - The Two Towers, यानि, अंगूठियों का मालिक--दो मीनरें) इस सिलसिले की दूसरी कड़ी है। सिलसिले की मध्य कड़ी होने की वजह से इसकी कहानी एकाएक ही शुरु होती है, बिना किसी चीज़ की जान-पहचान दिये और एकाएक ही ख़त्म भी हो जाती है। इसकी कहानी सौरॉन की काली मीनार बाराद-दूर और सारूमान की काली मीनार ऑर्थैंक के बीच की मैत्री के ईद-गिर्द घूमती है।


दैत्यों द्वारा पकड़े गये दोनो हॉबिट मेरी और पिप्पिन सभी दैत्यों में हुई एक झड़प का फ़ायदा उठाकर फ़ैंगोर्न जंगल के अन्दर भाग जाते हैं। वहाँ उनको इंसाननुमा पेड़ एन्ट मिलते हैं। एन्ट पेड़ों के चरवाहे थे और उनको इस बात का बहुत रोष था कि सारुमान पेड़ों को काटकर अपनी भट्टियों के लिये इन्धन का बन्दोबस्त कर रहा है। मेरी और पिप्पिन एन्टों के सरदार ट्रीबियर्ड और बाकी एन्टों को मना लेते हैं कि उन्हें भी सारुमान के ख़िलाफ़ लड़ाई में मदद करनी चाहिये। आरागॉर्न, गिम्ली बौना और गन्धर्व लेगोलास मेरी और पिप्पिन की खोज करते-करते रोहान के सल्तनत में पहुँचते हैं, जहाँ रोहान के घुड़सवार उनको बताते हैं कि उनहोंने पिछली रात दैत्यों के एक समूह से युद्ध किया था और किसी को भी ज़िन्दा नहीं बख़्शा। पर आरागॉर्न मेरी और पिप्पिन की खोज जारी रखते हुए फ़ैंगोर्न जंगल में चले जाते हैं।

वहाँ उनको एक जादूगर मिलता है, जिसे पहले तो वो लोग सारुमान समझते हैं, पर बाद में उन्हें ज्ञान होता है कि वो गैन्डैल्फ़ है, जो कि मोरिया की खदान से बालरोग को हराकर और फिर पुनर्जीवित होकर वापिस आया है। वहाँ से चारों रोहान की सल्तनत की राजधानी की ओर रवाना होते हैं। रोहान के आधे-पागल हो चुके राजा थेओडन को गैन्डैल्फ़ ठीक करता है और उसके दुष्ट सलाहकार ग्रीमा केंचुआज़बान को देश निकाला दे दिया जाता है (ग्रीमा सारुमान के पास शरण लेता है)। गैन्डैल्फ़ थेओडन को समझाता है कि उसके राज्य पर सारूमान की बुरी नज़र लगी हुई है। उधर सारुमान ने रोहान पर अपनी उरुक-हाइ सेना द्वारा चढ़ाई कर दी। हेल्म की घाटी में उरुक-हाइ और रोहानवासियों के बीच भयानक युद्ध होता है। उस समय गैन्डैल्फ़ एओमर की आदमियों को इकट्ठा करने पहाड़ियों पर चला जाता है। सुबह होते होते गैन्डैफ़ उन सभी आदमियों के साथ वापिस आता है, जो दैत्यों को परास्त कर देते हैं। भागते हुए दैत्य एक नये वन में शरण लेते हैं, जो असल में एन्टों द्वारा लाये गये हूओर्न (आधे-पेड़, आधे एन्ट) थे। वहाँ सभी दत्य हूओर्न द्वारा मारे जाते हैं। इसके बाद बदला लेने थेओडन और अन्य लोग एक सेना लेकर ऑर्थैंक जाते हैं।

ऑर्थैंक को, मीनार को छोड़, तबतक एन्टों ने अपने कब्ज़े में ले लिया था और पार की नदी का बान्ध तोड़कर उसे जलमग्न कर दिया था। सारुमान की दुष्टता बरकरार रहने की वजह से गैन्डैल्फ़ ने उसकी जादुई छड़ी तोड़ दी और उसे जादूगर श्रेणी से निकाल दिया। सारुमान ने ग़लती से उन लोगों की तरफ़ एक पालान्तीर दे मारा, जिसे पिप्पिन ने पकड़ा। जिज्ञासु हॉबिट पिप्पिन ने जादुई पालान्तीर का उपयोग करते हुए उसमें चुपके से नज़र गड़ाई। वहाँ उसे सौरॉन और उसकी अगली चाल की भनक मिली। इसके बाद गैन्डैल्फ़ और पिप्पिन गोन्डोर की सल्तनत की ओर रवाना हो गये।

फ़्रोडो और सैम मोर्डोर का रास्ता कोहरे की वजह से नहीं ढूँढ पाते हैं। राह में उनको गोल्लुम मिलता है, जो सारे रास्ते उनका पीछ कर रहा था। अंगूठी के पीछे पागल गोल्लुम उनसे अंगूठी छीनने की कोशिश करता है, लेकिन फ़्रोडो और सैम उसे पकड़ लेते हैं। सैम उसे मार डालना चाहता है, पर फ़्रोडो उस पर तरस खाकर उसे अपना मार्गदर्शक बना देता है, इस शर्त पर कि गोल्लुम उनको मोर्डोर के द्वार तक ले जायेगा और अंगूठी छीनने की कोशिश नहीं करेगा। कुछ समय तक ऐसा प्रतीत होता है कि गोल्लुम सही में उनका सच्चा साथी बन गया है। उधर फ़्रोडो के दिलोदिमाग़ पर अंगूठी और उसे पहनने की चाहत भयानक रूप से भारी पड़ती जा रही थी। वो उन लोगों को मोर्डोर के मुख्य फाटक (मोरान्नोन की काली घाटी) तक ले जाता है, पर उसके पहरे को पार कर पाना नामुम्किन सा था। गोल्लुम फ़्रोडो से कहता है कि वो उनको एक दूसरे गुप्त रास्ते से मोर्डोर के अन्दर ले जा सकता है।

इसपर वो तीनों किरीथ उंगोल की सीढियों के लिए मीनास मोर्गुल (अंग्मार के डायनराज का किला) की तरफ़ चल पड़े। इथीलियन में उनको बोरोमीर के छोटे भाई फ़ारामीर ने पकड़ लिया, लेकिन फ़्रोडो का मक़सद जानने के बाद उनको छोड़ दिया। लेकिन किरीथ उंगोल पहुँच कर गोल्लुम अपनी शैतानियत से बाज़ नहीं आया और उसने फ़्रोडो को वहाँ की गुफ़ा में रहने वाली एक दानवाकार विशाल मकड़ी शेलोब के हवाले कर दिया (अंगूठी चुराने के लिये)। शेलोब ने फ़्रोडो को अपने ज़हर से डँस लिया। सैम ने फ़्रोडो को मरा हुआ समझ उससे अंगूठी ले ली और फ़्रोडो का काम ख़ुद पर ले लिया। वहाँ आये कुछ दैत्यों ने फ़्रोडो का जिस्म अपने कब्ज़े में ले लिया और उसी समय उनकी बातचीत से सैम को पता चलता है कि फ़्रोडो अभी ज़िन्दा है।

द लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स-द रिटर्न ऑफ़ द किंग (The Lord of the Rings - The Return of the King, यानि, अंगूठियों का मालिक-राजा की वापसी) इस सिलसिले की तीसरी कड़ी है।

गैन्डैल्फ़ और पिप्पिन पहुँचते हैं गोन्डोर के शासनाध्यक्ष डेनेथोर के दरबार में, जहाँ गैन्डैल्फ़ डेनेथोर को समझाता है कि सौरॉन उनपर तुरन्त युद्ध छेड़ने वाला है। गोन्डोर ने रोहान से मदद पहले से ही मांगी हुई थी। पिप्पिन डेनेथोर की ख़िदमत में चला जाता है। रोहान में आरागॉर्न को टूटी हुई नूमेनोरी तल्वार नार्सिल गन्धर्वों द्वारा पुनर्निर्मित मिल जाती है। आरागॉर्न, गिम्ली और लेगोलास एक पुराने अभिशाप को अपने पाले में करने के लिये मृतकों की राह पर चले जाते हैं। वहाँ नूमेनोरियों का राजा-समान आरागॉर्न मृतक प्रेतात्माओं से युद्ध में अपनी ओर से लड़ने का भरोसा ले लेता है। सौरॉन, जैसा कि अनुमान था, दैत्य सेना द्वारा गोन्डोर की राजधानी मीनास तिरिथ पर चढ़ाई कर देता है। डेनेथोर पागल हो जाता है और आत्महत्या कर लेता है। पेलेन्नोर के मैदानों में गोन्डोर और रोहान की सेनाओं और मोर्डोर के दैत्यों के बीच भयानक जंग होती है। थेओडन की भांजी एओवेन (जो भेस बदलकर लड़ रही थी) और पिप्पिन के हाथों मोर्डोर के सिपहसलार अंग्मार के डायनराज का स्वाहा हो जाता है। इससे और प्रेतात्माओं की सेना के आ जाने से मीनास तिरिथ बच जाता है। आरागॉर्न एक योजना बनाता है कि अगर उनकी बची-खुची सेना मोर्डोर जाकर युद्ध करे, तो शायद फ़्रोडो को अंगूठी नष्ट करने का समय मिल सकता है। आरागॉर्न अपनी सेना लेकर मोर्डोर में मोरन्नोन के फाटक तक पहुँचता है।

फ़्रोडो को नंगा करके और बान्धकर दैत्य कैद कर लेते हैं, पर ज़ाहिर है कि उनको अंगूठी नहीं मिली। सैम कुछ वक़्त तक अंगूठीवाहक बनकर उस कैदख़ाने में पहुँचता है, जहाँ उसकी चालाकी से और दैत्यों की अपनी झगड़ालू प्रवृत्ति की वजह से लगभग सभी दैत्य आपस में ही लड़ मरते हैं। फ़्रोडो अंगूठी वापिस लेकर सैम के साथ विनाश की ज्वालामुखी को निकल पड़ता है। अंगूठी के शैतानी जादू ने अबतक फ़्रोडो और सैम को लगभग बेहोश और अधमरा कर दिया था। उधर मोरान्नोन में इन्सानों और दैत्यों के बीच भीषण जंग चल रही थी। फ़्रोडो जब किसी तरह लावा उगलती ज्वालामुखी की गुफ़ा में पहुँचता है, तो अंगूठी के जादू उसपर हावी हो जाता है और फ़्रोडो अंगूठी पहल लेता है। इससे सौरॉन को तुरन्त अंगूठी का पता लग जाता है। लेकिन उसी वक़्त गोल्लुम गुफ़ा में पहुँचता है और अंगूठी छीनने के लिये फ़्रोडो की पूरी उंगली ही दाँत से काट लेता है। अंगूठी पाकर गोल्लुम ख़ुशी से झूम उठता है और ग़लती से नीचे लावे में अंगूठी लिये गिर जाता है। इस तरह गोल्लुम और शैतानी अंगूठी दोनो ही लावे में स्वाहा हो जाते हैं और सौरॉन का वजूद प्रेतात्मा समेत ख़त्म हो जाता है। उसकी दैत्य सेना भी नष्ट कर दी जाती है। फ़्रोडो और सैम को भीषण रूप से आग उगलते ज्वालामुखी से विशाल गरुड़ बचाकर लाते हैं।

गोन्डोर में नये राजा आरागॉर्न की ताजपोशी होती है और जल्द ही उसकी प्रेमिका आर्वेन से शादी भी। तीसरे युग का अन्त होता है और मध्य धरती पर शान्ति और ख़ुशहाली वापिस लौटती है। होबिट वापिस शायर लौटते हैं, जहाँ उनको मालूम होता है की कोई दुष्ट शार्की (जो असल में सारुमान था) हॉबिटॉन पर कब्ज़ा जमाये हुए है। पिप्पिन और मेरी के नेतृत्व में सारुमान और ग्रीमा का अन्त होता है। शायर में ख़ुशहाली वापिस आती है। लेकिन फ़्रोडो को अंग्मार के डायनराज का दिया पुराना जादुई घाव सालों तक तड़पाता रहता है। इसलिये फ़्रोडो कुछ समय बाद बिल्बो, एल्रोन्ड और गैन्डैल्फ़ के साथ समन्दर पार देवताओं की भूमि वालिनोर चला जाता है।

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