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बन्दर दादा - कविता

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Bandar Dada Hindi Rhymes
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"कविता"

बन्दर दादा ओढ़ लबादा,
चलें देखने मेला।

एक जगह देखा ठेले पर,
लदा हुआ था केला।

देखे जब पके केले तो,
मुंह में पानी आया।

किन्तु पके केले पाने का,
ढंग समझ न आया।

कूद पड़े झट से केले पर,
सोचा नहीं नतीजा।

उस ठेले के पास खड़े थे,
चाचा और भतीजा।

देखा जब बन्दर दादा को,
दोनों सरपट भागे।

कभी वह आगे, कभी यह आगे,
कभी यह आगे, कभी वह आगे।

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