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धर्म और मजहब - कविता

धर्म और मजहब कविता, Dharm aur Majahab Hindi Poems Rhymes, लोकप्रिय कवियों तथा कवित्रियों द्वारा लिखी गई हिंदी में कविताओं का संग्रह, बच्चों के लिए लिखी गई बाल-कविताएं, हिंदी कविता, हास्य के लिए लिखी गयी कविताएं यहाँ पढ़ सकते हैं।

Dharm Aur Majahab Hindi Rhymes
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"कविता"

न मुसलमान खतरे में है, न हिन्दू खतरे में है,
धर्म और मजहब से बंटता, इंसान खतरे में है।

न राम खतरे में है, न रहमान खतरे में है,
सियासत की भेंट चढता, भाई चारा खतरे में है।

न कुरान खतरे में है, न गीता खतरे में है,
नफरत की दलीलों से, इन किताबों का ज्ञान खतरे में है।

न मस्जिद खतरे में है, न मन्दिर खतरे में है,
सत्ता के लालची हाथों में, दीवारों की बुनियाद खतरे में है।

न ईद खतरे में है, न दीवाली खतरे में है,
गैर मुल्कों की नजर लगी है, हमारा सद्भभाव खतरे में है।

धर्म और मजहब का चश्मा, उतार कर देखो मित्रो,
अब तो हमारा हिन्दुस्तान खतरे में है।

एक बनो, नेक बनो, न हिन्दू बनो, न मुसलमान बनो,
अरे पहले ढंग से इंसान तो बनो।

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