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दिवाली - कविता

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Diwali Hindi Rhymes
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"कविता"

वह मंगल दीप दिवाली थी,
दीपो से जगमग थाली थी।

कोई दिये जला कर तोड़ गया,
आशा की किरण को रोक गया।

इस बार ना ये हो पाएगा,
अंधियारा ना टिक पाएगा।

कर ले कोशिश कोई लाख मगर,
कोई दिया ना बूझने पाएगा।

जब रात में बारह बजते हैं,
सब लक्ष्मी पूजा करते हैं।

रात की काली मया के लिये,
दीपूं से उजाला करते हैं।

दिवाली खूब मनाएंगे,
लद्दो और पेड़ा खाएंगे।

अंतर्मन के अंधेरा को..
दीपो से दूर भगाएँगे।

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