हम पंछी उन्मुक्त कविता, Ham Panchhi Unmukt Hindi Poems Nursery Rhymes, लोकप्रिय कवियों तथा कवित्रियों द्वारा हिंदी में बच्चों की कविताओं का संग्रह, बच्चों के लिए लिखी गई बाल-कविताएं, हिंदी कविता, हास्य के लिए लिखी गयी कविताएं, छोटे बच्चों की छोटी कविताएं यहाँ पढ़ सकते हैं।
हम पंछी उन्मुक्त गगन के,
पिंजरबद्ध न गा पाएगे,
कनक-तीलियों से टकराकर,
पुलकित पंख टूट जाएगे।
हम बहता जल पीने वाले,
मर जाएगे भूखे प्यासे,
कहीं भली है कटुक निबौरी,
कनक-कटोरी की मैदा से।
स्वर्ण-श्रंखला के बंधन में,
अपनी गति, उडान सब भूले,
बस सपनों में देख रहे है,
तरु की फुनगी पर के झूले।
ऐसे थे अरमान कि उड़ते,
नीले नभ की सीमा पाने,
लाल किरण-सी चोंच खोल,
चुगते तारक-अनार के दाने।
होती सीमाहीन क्षितिज से,
इन पंखो की होडा-होडी,
या तो क्षतिज मिलन बन जाता,
या तनती साँसों की डोरी।
नीड़ न दो, चाहे टहनी का,
आश्रय छिन्न-भिन्न कर डाला,
लेकिन पंख दिए हैं तो,
आकुल उडान में विघ्न न डालो।।
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