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इंसान के रिश्ते - कविता

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Insan Ke Rishte Hindi Rhymes
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"कविता"

कितने हल्के-हल्के है इंसान के रिश्ते,
प्रेम भी करते हैं तो 'उपकार' कहते हैं।

वेदना भी आँखों में सिमट-सिमट गई,
आँसुओं की धार को 'व्यापार' कहते हैं।

प्यार भी करते हैं तो नफ़रत कर लिए,
उम्र-भर की तड़प को 'उपहार' कहते हैं।

दर्द को भी दर्द तक कहते नहीं लोग,
मुरझाये हुए फूलों को 'श्रंगार' कहते हैं।

माँ का आँचल, विधवा के आँख का जल,
स्त्री के चरित्र को 'अख़बार' कहते हैं।

उगल कर बारूद बन बैठा 'आदमखोर',
फिर भी तो रिहाई का 'हकदार' कहते हैं।

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