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खबर दे - कविता

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Khabar De Hindi Rhymes
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"कविता"

इस अँधेरी रात को ढलने की खबर दे,
भोर के तारे को फिर निकलने की खबर दे।

थक गई हैं सीपियाँ उबलती रेट में बहुत,
एक लम्हा समुंदर को उछलने की खबर दे।

जिस्म जब-जब उठता है, दर्द कहता है बैठ जाऊं,
मौत मांगती जिंदगी को, दुआओं का असर दे।

थम गया है जीवन कि, इस शहर का बारूद से,
एक बार फिर बादलों को, बदलने की खबर दे।

मौत ही मौत ले बीच जिंदगी निकल आती,
इन घायल कबूतरों को, संभलने की खबर दे।

चरमराते खेत, और किसानों के सूखे आँसू,
इस हिमालय को कोई पिघलने की खबर दे।

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