मुकद्दर नाराज निकला हिंदी कविता, Mukddar Naraj Hindi Poems Kavita, लोकप्रिय कवियों तथा कवित्रियों द्वारा लिखी गई हिंदी में कविताओं का संग्रह, बच्चों के लिए लिखी गई बाल-कविताएं, हिंदी कविता, हास्य के लिए लिखी गयी कविताएं यहाँ पढ़ सकते हैं।
हर बार मेरा घोडा, हवा के साथ निकला,
आज मंजिल थी करीब, मुकद्दर नाराज निकला।
कल्पना बह बह उठी, गीत सपनों के लिखे,
आज गाने की जिद थी, बेबफा साज निकला।
पेट क्या भरते आँगन के दाने बच्चों का,
समझा था जिसको अपना, कातिल बाज निकला।
बहुत भोला था, और आखों का तारा बन गया,
बाजू छीन कर गया, किसी का ताज निकला।
फूलों की तरह आया, बूंदों सा निकल गया,
लगता था मुसाफिर, गहरा राज निकल।
एक आँसू जो मुद्दत से, पलकों पर टिका,
श्वेत चाँदनी के अर्श पर, बहकर आज निकला।