प्यारा भारत देश हमारा, है हमको प्राणों से भी प्यारा। प्रकृति ने इसका रूप सँवारा, प्रभु ने बनाया जग से न्यारा। उत्तर में है खड़ा हिमालय, वह भारत की रक्षा करता है। जब बादल इससे टकराते हैं, तब जल बरसाया करता है। इसके मैदानों में सोना बरसे, खेतों में है फसलें सरसें। गंगा-जमुना की बहती धारा, ऐसा है भारत देश हमारा। आओं, इसको शीश नवाएँ, इसके सारे कष्ट मिटाएँ। भारत माँ की सेवा करके, अपना जीवन . . . Read More . . .
छोटी छोटी बातों में, खुशियां तलाश लेता हूं मैं, कभी रोते, कभी हंसते हुए, दीदी के साथ मुस्करा लेता हूं। मैंने पूंछा है, दादू, नानू, बापू से, नानी, मम्मा, मामा से, क्या आप भी बचपन में, करते थे ऐसी शैतानियां, जब तक जबाब देंगे वे, तब तक मैं खुद को, मम्मा के आंचल में छुपा लेता हूं। . . . Read More . . .
बचपन में देखा कि, गर्मी ऊन में होती है। स्कूल में पता चला, कि गर्मी जून में होती है। पापा ने बताया कि, गर्मी खून में होती है। बहुत जिन्दगी में थपेड़े खाये, तब पता चला कि गर्मी न खून, न जून, न ऊन में होती है। जनाब, गर्मी तो जुनून में होती है। . . . Read More . . .
मिट्टी से जनमा हे फूल तू कहाँ जा रहा है, हे मित्र, मै प्रभु के चरणों में सजने जा रहा हूँ। कभी मै किसी सुन्दरी के गजरे मे सजने जा रहा हूँ, तो कभी मै किसी नेता का सत्कार करने जा रहा हूँ। तो कभी मृत्युशैया मे श्रद्धांजलि बनने जा रहा हूँ। मेरा जीवन तो यही है मित्र, मिट्टी से जनमा हूँ। और मिट्टी मे ही मिलने जा रहा हूँ। . . . Read More . . .
ऐ गीत मेरे मन के, तूं बन जा इक चिंगारी। कि मैं बन जाऊं, आज फलक की शोभा न्यारी। आज मेरा अंतरमन, कर मुझ से उद्घोष रहा। पता नहीं क्या बैर है मुझसे, जो मुझको झकझोर रहा। . . . Read More . . .