ऐ गीत मेरे मन के - कविता

ऐ गीत मेरे मन के, तूं बन जा इक चिंगारी।
कि मैं बन जाऊं, आज फलक की शोभा न्यारी।

आज मेरा अंतरमन, कर मुझ से उद्घोष रहा।
पता नहीं क्या बैर है मुझसे, जो मुझको झकझोर रहा।

Ae Geet Mere Man Ke Kavita Hindi Rhymes
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कर ले इससे प्यार से बातें, कर ले इससे यारी।
ऐ गीत मेरे मन के, तूँ बन जा इक चिंगारी।

मैं बन जाऊँ, आज फलक की शोभा न्यारी।
बड़ा हिमालय सा समाज, प्रतियोगी बन खड़ा है काल।

इसमें प्रतिद्वन्दी बन, मैं भी कर लूँ हिस्सेदारी।
ऐ गीत मेरे मन के, तूँ बन जा इक चिंगारी।

मैं बन जाऊँ, आज फलक की शोभा न्यारी।
मैं बन जाऊँ, आज फलक की शोभा न्यारी।।

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