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पत्थरों के शहर - कविता

पत्थरों के शहर कविता, Pattharon Ke Shahar Hindi Poems Rhymes, लोकप्रिय कवियों तथा कवित्रियों द्वारा लिखी गई हिंदी में कविताओं का संग्रह, बच्चों के लिए लिखी गई बाल-कविताएं, हिंदी कविता, हास्य के लिए लिखी गयी कविताएं यहाँ पढ़ सकते हैं।

Pattharon Ke Shahar Hindi Rhymes
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"कविता"

पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है,
आजकल हवा के लिये रोशनदान कौन रखता है,

अपने घर की कलह से फुर्सत मिले तो सुनो,
आजकल पराई दीवार पर कान कौन रखता है,

जहां, जब, जिसका जी चाहा थूक दिया,
आजकल हाथों में पीकदान कौन रखता है,

खुद ही पंख लगाकर उड़ा देते हैं चिड़ियों को,
आजकल परिन्दों में जान कौन रखता है,

हर चीज मुहैया है मेरे शहर में किश्तों में,
आजकल हसरतों पर लगाम कौन रखता है,

बहलाकर छोड़ आते हैं वृद्दाश्रम में मां-बाप को,
आजकल घर में पुराना सामान कौन रखता है।

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