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राहगीर बनकर - कविता

राहगीर बनकर कविता, Raahgir Bankar Hindi Poems Rhymes, लोकप्रिय कवियों तथा कवित्रियों द्वारा लिखी गई हिंदी में कविताओं का संग्रह, बच्चों के लिए लिखी गई बाल-कविताएं, हिंदी कविता, हास्य के लिए लिखी गयी कविताएं यहाँ पढ़ सकते हैं।

Raahgir Bankar Hindi Rhymes
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"कविता"

आँख की पुतलियों में, तस्वीर बनकर बैठे हैं,
पलकें खोलकर देख, राहगीर बनकर बैठे हैं।

आँसुओं से धुँधला, भी ना कर देना इसे,
बेईन्तहा मुहब्बत की लकीर बनकर बैठे हैं।

दुश्मन है यह काजल, छुपा लेता सपने सारे,
सुर्ख चांदनी में बस एक, तक़दीर लेकर बैठे हैं।

नींद आती भी अगर, तो यह कौन देता दस्तक,
बंद पलकों में जैसे एक फ़क़ीर बनकर बैठे हैं।

यह प्यास क्या बुझेगी, इन आँसुओं के समुंदर में,
उम्र भर की तड़प लेकर पीर बनकर बैठे हैं।

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