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तेरी बुराईयाँ ...

तेरी बुराईयाँ कविता, Teri Buraiyan Hindi Poems Rhymes, लोकप्रिय कवियों तथा कवित्रियों द्वारा लिखी गई हिंदी में कविताओं का संग्रह, बच्चों के लिए लिखी गई बाल-कविताएं, हिंदी कविता, हास्य के लिए लिखी गयी कविताएं यहाँ पढ़ सकते हैं।

Teri Buraiyan Hindi Rhymes
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"कविता"

तेरी बुराइयों को हर अखवार कहता है,
और तू मेरे गांव को गंवार कहता है।

ऐ शहर मुझे तेरी औकात पता है,
तू बच्ची को भी हुश्न-ए-बहार कहता है।

थक गया है हर शख्स काम करते करते,
तू इसे अमीरी का बाजार कहता है।

गांव चलो वक्त ही वक्त है सबके पास,
तेरी सारी फुर्सत तेरा इतवार कहता है।

मौन होकर फोन पर रिश्ते निभाये जा रहे हैं,
तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है।

वो मिलने आते थे, कलेजा साथ लाते थे,
तू दस्तूर निभाने को रिश्तेदार कहता है।

बड़े बड़े मसले हल करती थी पंचायतें,
अंधी भ्रष्ट दलीलों को दरबार कहता है।

अब बच्चे भी बड़ों का अदब भूल बैठे हैं,
तू इस नए दौर को संस्कार कहता है।

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