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बंदूक नहीं पिचकारी - हिंदी कविता

अगर कहीं मिलती बंदूक
उसको मै करता दो टूक,

नली निकाल, बना पिचकारी
रंग देता यह दुनिया सारी।

कौआ बगुला जैसा होता
बगुला होता मोर,

लाल-लाल हो जाते तोते
होते हरे चकोर।

Bandook Nahi Pichkari Poem Hindi Rhymes
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बतख नीली-नीली होती
पीले-पीले बाज,

एक-दूसरे का मैं फौरन
रंग बदलता आज।

फिर जंगल के बीच खड़ा हो,
ऊँचे स्वर में गाता -

जन-गन-मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता।

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