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बसंत का मौसम - हिंदी कविता

है महका हुआ गुलाब,
खिला हुआ कंवल है।

हर दिल मे है उमंगे,
हर लब पे ग़ज़ल है।

ठंडी-शीतल बहे ब्यार,
मौसम गया बदल है।

हर डाल ओढ़ा नई चादर,
हर कली गई मचल है।

प्रकृति भी हर्षित हुआ जो,
हुआ बसंत का आगमन है।

Basant Ka Mousam Hindi Kavita Hindi Rhymes
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चूजों ने भरी उड़ान जो,
गये पर नये निकल है।

है हर गाँव मे कौतूहल,
हर दिल गया मचल है।

चखेंगे स्वाद नये अनाज का,
पक गये जो फसल है।

त्यौहारों का है मौसम,
शादियों का अब लगन है।

लिए पिया मिलन की आस,
सज रही 'दुल्हन' है।

है महका हुआ गुलाब,
खिला हुआ कंवल है...

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