होली का हंगामा है, सबको रंग लगाना है।
कहाँ बाल्टी बढ़िया है, कहाँ रंग की पुड़िया है।
कहाँ रखे हैं गुलाल अबीर, आया है या नहीं कबीर?
पिचकारी भर लाना है, होली संग मनाना है।
ऋतुओं पर ठहरा गुलाल है, रंग रंगा हर नौनिहाल है।
कोयल कूहू बोली है, होली है भई होली है।
नया घाघरा नई कुर्तियाँ, नये पजामे नई जूतियाँ।
चूड़ी चुनरी चोली है, होली है भई होली है।
रंग-रंगीली मस्ती वाला, आया है होली का त्यौहार।
प्रेम भाव से इसे मनायें, न हो कोई भी तकरार।
रंग-बिरंगे इस पर्व पर, होता बिना किये श्रृंगार।
नाचे गायेंग ढोल बजायें, हम बच्चों की टोली भरमार।
रंग लगायें एक दूजे को, करे प्रेम रस की बौछार।
जाती-मजहब सब भूले आज, बड़ों को आदर, छोटो को दें प्यार।
रीत-प्रीत, गीत -मीत और, रंग उमंग तरंग उपहार।
भेद भाव मिटाने दिल का, आता है होली का त्यौहार।
अनेक रंग है इस पर्व के, अनेक रंग समेटे है ये।
त्योहार है ये रंगों का, अनेक रंग समेटे है ये।
पर्व ये ऐसा जब रंग सारे खिलते है, बैर और दुश्मनी के दंभ सारे धुलते हैं।
बहता है रंग जो चहुं ओर, मित्रता के संगत बनते हैं।
पर्व ये ऐसा जब रंग सारे खिलते है, प्रीत की रीत के परिणय बनते हैं।
होती है मादकता हर ओर, प्रेम के मधुर पग बढ़ते हैं।
पर्व ये ऐसा जब रंग सारे खिलते हैं, जीवन पे पसरी नीरसता मिटती है।
होती है प्रसन्नता सभी ओर, नयी उमंग में सब संग बढ़ते है।
अनेक रंग है इस पर्व के, अनेक रंग समेटे है ये।
त्योहार है ये रंगों का, अनेक रंग समेटे है ये।
होली आती रंगो की बहार लती, जाने कितने रंग दिखलाती।
अगले साल का होता इन्तेजार, पिछले साल की दिलाती याद।
बड़ी सुहानी थी वो गुब्बारों की होली, वो खुशियों वाली होली।
होली है भाई होली है, बुरा ना मानो होली है।