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जाड़ों का मौसम - हिंदी कविता

लो, फिर आ गया जाड़ों का मौसम,
पहाड़ों ने ओढ़ ली चादर धूप की,

किरणें करने लगी अठखेली झरनों से,
चुपके से फिर देख ले उसमें अपना रूप।

Jaadon Ka Mousam Hindi Kavita Hindi Rhymes
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ओस भी इतराने लगी है,
सुबह के ताले की चाबी,

जो उसके हाथ लगी है।
भीगे पत्तों को अपने पे,

गुरूर हो चला है,
आजकल है मालामाल,

जेबें मोतियों से भरीं हैं।
धुंध खेले आँख मिचोली,

हवाओं से,
फिर थक के सो जाए,

वादियों की गोद में।
आसमान सवरने में मसरूफ है,

सूरज इक ज़रा मुस्कुरा दे।
तो शाम को,

शरमा के सुर्ख लाल हो जाए।
बर्फीली हवाएं देती थपकियाँ रात को,

चुपचाप सो जाए वो,
करवट लेकर।

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