माँ की ममता करुणा न्यारी,
जैसे दया की चादर।
शक्ति देती नित हम सबको,
बन अमृत की गागर।
साया बन कर साथ निभाती,
चोट न लगने देती।
पीड़ा अपने ऊपर ले लेती,
सदा सदा सुख देती।
माँ का आँचल सब खुशियों की,
रंगा रंग फुलवारी।
इसके चरणों में जन्नत है,
आनन्द की किलकारी।
अदभुत माँ का रूप सलोना,
बिलकुल रब के जैसा।
प्रेम के सागर सा लहराता,
इसका अपनापन ऐसा.......