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नाव मेरी बड़ी मज़े की - हिंदी कविता

नाव मेरी बड़ी मज़े की,
लहरों पर झूला करती।

कागज़ की वह बनी हुई है,
फूलों का बोझा भरती।

गुड्डे गुड़ियों को ले जा कर,
है तालाब दिखा लाती।

Naav Meri Badi Maje Ki Hindi Rhymes
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परवा उसे न पतवारों की,
बिन माझी आती जाती।

आहा कितनी हल्की वह है,
जल में है डूबती नहीं।

कभी किसी ने देखी है क्या,
ऐसी सुन्दर नाव कहीं?

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