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फोन की घण्टी - हिंदी कविता

फोन की घण्टी
ट्रिन ट्रिन ट्रिन ट्रिन बज गई घण्टी

सुन कर दौड़ के आया बन्टी
फोन उठा कर बोला हैलो

आओ मेरे सन्ग मे खेलो
आगे था पापा का बॉस

करनी थी कुछ बातें खास
बॉस तो पूरे गुस्से मे था

Phone Ki Ghanti Hindi Kavita Hindi Rhymes
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उसने तो बस लड़ना ही था
पर जब सुना बन्टी को ऐसे

भाग गया सब गुस्सा जैसे
बोला बेटा तुम आ जाओ

पापा को भी साथ मे लाओ
हम तीनों मिलकर खेलेंगे

तुमको आईसक्रीम भी देंगे
खुश हो गए सारे ही सुनकर

बन्टी खुश अन्कल से मिलकर
बन्टी खुश अन्कल से मिलकर

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