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ससुराल की होली - हिंदी कविता

होली खेलन गए ससुराल
लला होली खेलन गए ससुराल
टपकत तेल लगो जुल्फन में
मेंहदी लगाय लई दाढ़ी में
आंख में सुरमा, मुंह में बीड़ा
अचकन जरीन की भारी
लला होली खेलन गए ससुराल।।

Sasural Ki Holi Poem Hindi Rhymes
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लहंगा चुनरी सलहज लाई,
साड़ी लाई साली
इंगुर, सुरमा सब ले आई
नर से बन गए नारी
लला होली खेलन गए ससुराल।।

फागुन को मदमस्त महीना
भांग पिलाय दई भारी
साले बांध गए पैर में घुंघरू
नाचे दे दे ताली
लला होली खेलन गए ससुराल।।

होली को हुडदंग मचौ है
शोर मच रहौ भारी
एक नार ने लहंगा खींचो
एक न कींच उचारी
लला होली खेलन गए ससुराल।।

सब जन होरी, ब्रज में होरा
ब्रज की नार मतवाली
भीगे-भीगे सोटे मारे
दैवे मीठी गारी
लला होली खेलन गए ससुराल।।

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