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सूरज से सीखें - हिंदी कविता

सूरज चलता रहता हरदम,
कभी न खाता, कभी न पीता।
कौन दवा है जिसको खाकर
कभी न मरता, रहता जीता।।

दिन भर तो वह चमका करता
किन्तु शाम को छिप जाता है।
धरती पर और आसमान में
तब अँधियारा छा जाता है।।

Suraj Se Sikhen Hindi Rhymes
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लगता है, थककर के सूरज,
सोने कहीं चला जाता है।
अगले दिन फिर जगकर के वह
मुझे जगाने आ जाता है।।

अगर नहीं यह सूरज होता,
फिर हम धूप कहाँ से लाते ?
रात रात ही रहती फी तो,
हर पल ही हम दीप जलाते।।

इसके बिना न फसलें उगतीं,
सोचो, फिर हम सब क्या खाते ?
हरियाली का नाम न होता,
सब प्राणी भूखे मर जाते।।

सूरज से हम चलना सीखें,
सूरज से सीखें हम तपना।
तब वह सब कुछ पा जाएँगे,
अब तक जो लगता था सपना।।

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