गुब्बारों का लेकर ढेर,
देखो आया है शमशेर।
हरे, बैंगनी, लाल, सफ़ेद,
रंगो के हैं कितने भेद।
कोई लंबा, कोई गोल
लाओ पैसा, ले लो मोल।
मुटठी में है इनकी डोर,
इन्हें घुमाओ चारों ओर।
हाथों से दो इन्हें उछाल,
लेकिन छुना खूब सँभाल।
पड़ा किसी के ऊपर जोर,
एक जोर का होगा शोर।
गुब्बारा फट जाएगा,
खेल ख़त्म हो जाएगा।