मन की आँखें कविता, Man Ki Aankhen Hindi Poems Rhymes, लोकप्रिय कवियों तथा कवित्रियों द्वारा लिखी गई हिंदी में कविताओं का संग्रह, बच्चों के लिए लिखी गई बाल-कविताएं, हिंदी कविता, हास्य के लिए लिखी गयी कविताएं यहाँ पढ़ सकते हैं।
मन की आँखों में पलकों के पहरे हैं,
अधरों में ये राज अमिय के गहरे हैं,
मन के सागर में मचलती मछलियाँ,
प्यासी फिर भी प्यास बढ़ाती लहरें हैं।
कंकड़ ने नदिया के पानी को रोका,
तिनके ने बहती हवाओं का झौंका,
जितनी बार कहा 'रुक जा', उतना दौड़ा,
इस की गति को अब तक है किसने टोका।
मन के दोनों कान तो यारो बहरे हैं,
मन की आँखों में पलकों के पहरे हैं।
हँसते-हँसते पागल रोने लग जाए,
इतना सरल कोई भी इसको ठग जाए,
सारी दुनियाँ गहरी निंदिया में सोये,
सोते-सोते पागल यों ही जग जाए।
आँखें बंद करूं तो लाखों चेहरे हैं,
मन की आँखों में पलकों के पहरे हैं।
रोते-रोते आँखों में उतर आए,
आँसू, टीस कशिश का यह जहर खाए,
टूटे टो फिर मोती-सा जाए बिखर,
जुड़ जाए तो फूलों-सा सँवर जाए।
मन के मोती बन कर आँसू ठहरे हैं,
मन की आँखों में पलकों के पहरे हैं।