सीता माता की आरती (Sita Mata Aarti in Hindi) सीता मिथिला के राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थी। इनका विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र राम से स्वयंवर में शिवधनुष को भंग करने के उपरांत हुआ था। इनकी स्त्री व पतिव्रता धर्म के कारण इनका नाम आदर से लिया जाता है| त्रेतायुग में इन्हे सौभाग्य की देवी लक्ष्मी का अवतार मानते है।
सीता बिराजथि मिथिलाधाम सब मिलिकय करियनु आरती।
संगहि सुशोभित लछुमन-राम सब मिलिकय करियनु आरती।।
विपदा विनाशिनि सुखदा चराचर, सीता धिया बनि अयली सुनयना घर।
मिथिला के महिमा महान, सब मिलिकय करियनु आरती।। सीता बिराजथि...
सीता सर्वेश्वरि ममता सरोवर, बायाँ कमल कर दायाँ अभय वर।
सौम्या सकल गुणधाम, सब मिलिकय करियनु आरती।। सीता बिराजथि...
रामप्रिया सर्वमंगल दायिनि, सीता सकल जगती दुःखहारिणि।
करथिन सभक कल्याण, सब मिलिकय करियनु आरती।। सीता बिराजथि...
सीतारामक जोड़ी अतिभावन, नैहर सासुर कयलनि पावन।
सेवक छथि हनुमान, सब मिलिकय करियनु आरती।। सीता बिराजथि...
ममतामयी माता सीता पुनीता, संतन हेतु सीता सदिखन सुनीता।
धरणी-सुता सबठाम, सब मिलिकय करियनु आरती।। सीता बिराजथि...
शुक्ल नवमी तिथि वैशाख मासे, चंद्रमणि सीता उत्सव हुलासे।
पायब सकल सुखधाम, सब मिलिकय करियनु आरती।
सीता बिराजथि मिथिलाधाम सब मिलिकय करियनु आरती।।