औरंगजेब का जीवन परिचय

Aurangzeb Biography In Hindi, औरंगजेब का जन्म 3 नवम्बर, 1618 को दाहोद में हुआ था, औरंगजेब (Aurangzeb) का पूरा नाम अबुल मुज़फ्फर मुहि-उद-दिन मुहम्मद औरंगजेब (Abul Muzaffar Muhi-ud-Din Muhammad Aurangzeb) है। इनके पिता का नाम शाह जहाँ तथा माता का नाम मुमताज़ महल है। इनक जन्म मुग़ल साम्राज्य के इस्लाम धर्म में हुआ था। औरंगजेब मुग़ल राजा शाहजहाँ और मुमताज़ महल का तीसरा बीटा था। औरंगजेब के पिता शाहजहाँ ने अपने प्रेम रानी मुमताज़ महल के लिए ताजमहल बनवाया था।

Aurangzeb Biography
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औरंगजेब का शुरुवाती जीवन बहुत ही गंभीर रहा और वह एक भक्त रूप में बड़ा हुआ। वह बहुत दिन तक मुस्लिम कट्टरपंथियों से जुड़ा रहा और मुग़ल साम्राज्य के शाहिपने, मादकता और वासना से दूर रहा। उसने बहुत जल्द ही सैन्य और प्रशासनिक क्षमता दिखाई और अपने सबसे बड़े भाई के साथ प्रतिद्वंदता छिड गयी जिसको उसके पिता ने उत्तराधिकारी के रूप में चुना था।

1636 में औरंगजेब नें कुछ मुख्य नियुक्तियाँ की और उसने कुछ सैनिक तैयार किया उज़बेक और फारसियों के खिलाफ(1646-47)। जब शाहजहाँ 1657 में बहुत बीमार पड़े तो औरंगजेब (Aurangzeb )और उसके बड़े भाई के बिच तनाव और भी बढ़ गया और युद्ध छिड गया। औरंगजेब (Aurangzeb) के ३ भाई – दारा शिकोह, मुराद बक्श और शाह शुजा थे।

15 दिसम्बर 1634, औरंगजेब नें अपनी पहली सेना तैयार की जिसमे कुल 10000 घोड़े और 4000 लोग थे। औरंगजेब कि सेना लाल तम्बुओं का इस्तेमाल करती थी। शाहजहाँ द्वारा बुंदेलखंड भेजी गयी सेना का दायित्व औरंगजेब के हाँथ में रखा गया था। यह युद्ध ओरछा के शासक झुझार सिंह के खिलाफ लड़ा गया और इसमें जुझार सिंह को वहाँ से हटा दिया गया।

औरंगजेब (Aurangzeb) का शासन कल दो बराबर भागों में गिर पड़ा लगभग 1680 तक। वह एक मिश्रित हिन्दू-मुस्लिम साम्राज्य का सक्षम मुस्लिम सम्राट था। लोग खासकर उसके बेरहमी स्वभाव कि वजह से उसे पसंद नहीं करते थे परन्तु उसकी ताकत और कौशल के लिए उसे सम्मानित भी किया जा चूका था। इस अवधि के दौरान उसने दो बार 1664 और 1670 में महँ बंदरगाह लूटा। फारसियों कि जगह, मध्य एशिया, तुर्क पर भी कब्ज़ा कर लिया था। फारसियों कि जगह, मध्य एशिया, तुर्क पर भी कब्ज़ा कर लिया था।

इन्होने नें अपने परदादा अकबर के नुस्कों को अपनाया, हर किसी कि दुश्मन है, उन्हें सामजस्य में रखो और उन्हें शाही सेवा में रखो। इस प्रकार शिवाजी को हराया गया और सुलह के लिए 1666, आगरा में, सेना में एक स्थान दिया गया। 1680 में शिवाजी कि मृत्यु के पश्चात, औरंगजेब को अपने शासन के दृष्टिकोण और नीति में एक परिवर्तन करना पड़ा।

औरंगजेब (Aurangzeb) के 50 वर्ष के शासन काल को दो भागों में देखा जा सकता है। उसने अपने शासन काल के पहले भाग में अपनी राजधानी में (1658-1682) शासन किया और दुसरे भाग में डेक्कन में (1682-1707)। पहले पलामू बिहार में औरंगजेब ने शासन किया साथ ही, बंगाल और असम में भी अहोम राजा जयद्ध्राजा को हरा कर। और राजा अरकान, मीर जुमला और शाइस्ता खान को हरा कर चिट्टागोंग और संद्विप पर भी कब्ज़ा किया। औरंगजेब बहुत ही लम्बे समय तक जीवित रहा और 28 फरवरी, 1707 को 88 वर्ष कि आयु में अहमदनगर मे उसकी मृत्यु हो गयी। औरंगजेब (Aurangzeb) का मकबरा, खुल्दाबाद, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, भारत में है

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