सायना नेहवाल का जीवन परिचय

सायना नेहवाल का जीवन परिचय, Saina Nehwal Biography in Hindi, सायना नेहवाल का जन्म १७ मार्च १९९० को हिसार, हरियाणा के एक जाट परिवार मे हुआ था। इनके पिता का नाम डॉ. हरवीर सिंह नेहवाल और माता का नाम उषा नेहवाल है। सायना साईं के नाम से बना है। सायना ने शुरुआती प्रशि‍क्षण हैदराबाद के लाल बहादुर स्टेनडि‍यम, हैदराबाद में कोच नानी प्रसाद से प्राप्त कि‍या। माता-पि‍ता दोनो के बैडमिंटन खि‍लाड़ी होने के कारण सायना का बैडमिंटन की ओर रुझान शुरु से ही था। पि‍ता हरवीर सिंह ने बेटी की रुचि को देखते हुए उसे पूरा सहयोग और प्रोत्साडहन दि‍या।

Saina Nehwal Biography
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सायना अब तक कई बड़ी उपलब्धियाँ अपने नाम कर चुकी हैं। वे विश्व कनिष्ठ बैडमिंटन विजेता रह चुकी हैं। ओलिम्पिक खेलों में महिला एकल बैडमिंटन का काँस्य पदक जीतने वाली वे देश की पहली महिला खिलाड़ी हैं। उन्होंमने 2006 में एशि‍याई सैटलाइट प्रतियोगिता भी जीती है। उन्होंने 2009 में इंडोनेशिया ओपन जीतते हुए सुपर सीरीज़ बैडमिंटन प्रतियोगिता का खिताब अपने नाम किया, यह उपलब्धि उनसे पहले किसी अन्य भारतीय महिला को हासिल नहीं हुई थी। दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया।

वर्ष 2015 में नई दिल्ली को योनेक्स सनराइज इंडिया ओपन सुपर सीरीज बैडमिंटन प्रतियोगिता के सेमीफाइनल में विश्व चैम्पियन जापान की युई हाशिमोतो को 44 मिनट में 21-15,21-11 से हराने के साथ ही दुनिया की शीर्ष वरीय खिलाड़ी बनी और फाइनल मैच में थाईलैंड की रत्चानोक इंतानोन को हराकर 29 मार्च 2015 को योनेक्स सनराइज इंडिया ओपन सुपर सीरीज बैडमिंटन टूर्नामेंट की महिला एकल ख़िताब की विजेता बनीं।

अप्रैल 2015 में आधिकारिक रूप से उनकी विश्व रैंकिंग १ घोषित की गई। इस मुकाम तक पहुँचने वाली वे प्रथम भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं।

2006 में, सायना अंडर 19 राष्ट्रीय चैंपियन बनी और दो बार प्रतिष्ठित एशियन सैटेलाइट बैडमिंटन टूर्नामेंट (इंडिया चैप्टर) जीतकर इतिहास बनाया। वह ऐसा करने वाली पहली खिलाड़ी बनी। 2006 में वह एक 4 सितारा टूर्नामेंट, फिलीपींस ओपन जीतने वाली दूसरे भारतीय महिला बनीं और तभी से वह वैश्विक परिदृश्य पर छा गयीं। 86 वें वरीयता वाली सायना ने टूर्नामेंट में प्रवेश कर, खिताब के लिए मलेशिया की जूलिया वोंग पेई जियान को हराने से पहले दुनिया की नंबर चार जू हुआवे और कई शीर्ष वरीयता प्राप्त खिलाड़ियों को अचेत करती चली गयी। उसी वर्ष सायना शीर्ष वरीय चीनी खिलाडी वांग यिहान के खिलाफ एक कठिन लड़ाई लड़ी लेकिन हार गए और 2006 बीडब्ल्युएफ विश्व कनिष्ठ बैडमिंटन प्रतियोगिता की उपविजेता बनीं। वह नौवीं वरीयता प्राप्त जापानी सायाका सातो को 21-9 21-18 हरा कर 2008 विश्व कनिष्ठ बैडमिंटन प्रतियोगिता जीतने वाली पहली भारतीय बनीं।

एक बेहद ही रोमांचक तीन गेम के मुकाबले में चतुर्थ वरीय विश्व की पाँचवीं श्रेष्ठ खिलाडी हाँग काँग की वाँग चेन को हराकर ओलम्पिक खेल के क़्वार्टर फाइनल में पहुचने वाली वो प्रथम भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाडी बन गयीं। क़्वार्टर फाइनल में वह १६वीं वरीयता प्राप्त मारिया क्रिस्टीन युलिआंती से एक बेहद कड़े मुकाबले में हार गयीं। सितम्बर 2008 में उन्होंने मलेशिया की लीदिया चिया ली या को 21–8 21–19 से हराकर योनेक्स चाईनीज़ ताईपे ओपेन का खिताब जीता। साइना को 2008 में मोस्ट प्रॉमिसिंग प्लेयर का खिताब दिया गया। इसके बाद दिसम्बर 2008 में वह विश्व सुपर सीरीज़ के सेमीफाइनल तक पहुँच गयीं। 21 जून 2009 को इंडोनेशिया ओपन जीतकर वह विश्व की सबसे प्रतिष्ठित बी डब्ल्यु एफ सुपर सीरीज जीतने वाली पहली महिला भारतीय खिलाडी बन गयीं। उन्होंने फाइनल में चीन की वाँग लिन को 12-21,21-18,21-9 से हराया।

साइना ने सफलतापूर्वक 2010 उबर कप फाइनल के क्वार्टर फाइनल चरण के लिए भारतीय महिला टीम का नेतृत्व किया। साइना विजेता टिने रासमुसेन से हारने से पहले 2010 आल इंग्लैंड सुपर सीरीज के सेमीफाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। शीर्ष वरीयता प्राप्त साइना योनेक्स सनराइज बैडमिंटन एशिया चैंपियनशिप 2010 में चीन की गैरवरीय खिलाड़ी ली झुइरुई से हारने से पहले सेमीफाइनल तक पहुंच गईं। साइना के कोच गोपीचंद ने उन्हें घरेलू दर्शकों के भारी समर्थन का खुद पर बहुत अधिक दबाव ना लेने की सलाह दी। साइना ने मलेशिया की वोंग मिउ चू को 2010 इंडिया ओपन ग्रां प्री गोल्ड में हराकर टूर्नामेंट में अपनी शीर्ष वरीयता को न्यायोचित ठहरा दिया।

इस बीडब्ल्युएफ ग्रां प्री गोल्ड टूर्नामेंट को जीतकर उन्होंने $ 8280 के पुरस्कार राशि जीत ली। नेहवाल सिंगापुर ओपन सुपर सीरीज 2010 में फिर से नंबर 1 वरीयता प्राप्त कर चीन की विश्व चैंपियन लू लान को हराकर फाइनल में प्रवेश किया। साइना ने सिंगापुर ओपन के फाइनल में चीनी ताइपे की क्वालीफायर ताई जू यिंग को 21-18, 21-15 से हराकर अपने कैरियर का दूसरा सुपर सीरीज खिताब जीता। साइना ने इस बीडब्ल्युएफ सुपर सीरीज टूर्नामेंट को जीतकर 15,000 डॉलर की पुरस्कार राशि जीत ली और अपने कैरियर की शीर्ष वरीयता तीन पर पहुँच गयी। साइना ने जापान की सयाका सातो को एक कठिन खेल में 21-19 / 13-21 / 21-11 से हराकर अपने इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज खिताब का बचाव किया।

यह उनका तीसरा सुपर सीरीज़ खिताब और इंडियन ओपन, सिंगापुर सुपर सीरीज के बाद लगातार तीसरा खिताब था। उन्हे फिर से इस बीडब्ल्युएफ सुपर सीरीज टूर्नामेंट को जीतने के लिए $ 18,750 की शीर्ष पुरस्कार राशि मिली। 15 जुलाई 2010 को 64,791.26 अंक के साथ साइना नेहवाल केवल चीन की वांग यिहान से पीछे नंबर 2 पर अपने कैरियर के उच्चतम वरीयता पर पहुंच गईं। दूसरी वरीयता प्राप्त साइना टूर्नामेंट में पसंदीदा खिलाडी थी लेकिन सीधे सेटों में 8-21, 14-21 से चौथी वरीयता प्राप्त चीन की वांग शीझियान से हारकर पेरिस में हो रहे 2010 बीडब्ल्युएफ विश्व प्रतियोगिता से बाहर हो गईं। हालांकि उन्होंने इस टूर्नामेंट में हैदराबाद में खेले गये अपने पिछले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बराबरी की लेकिन इस हार के बाद विश्व वरीयता में नंबर 3 पर पहुँच गईं।

22 वर्ष की उम्र में अपने स्विस ओपन खिताब की सफलता पूर्वक रक्षा करते हुए साइना ने फाइनल में चीन की विश्व में दूसरी वरीयता प्राप्त खिलाडी वांग शिझियान को 21-19,21-16 से हराया। 10 जून 2012 को उन्होंने थाइलैंड की रत्चानोक इंथेनॉन को 19-21, 21-15, 21-10 से हराकर थाइलैंड ओपेन ग्रैंड प्रिक्स गोल्ड खिताब अपने नाम किया। इसी वर्ष वह मलेशिया ओपन के सेमीफाइनल और कोरिया ओपन के क़्वार्टर फाइनल में पहुँची थी। अपने तीसरे इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज़ खिताब को जीतते हुए उन्होंने जून में विश्व की नंबर 3 खिलाडी ली झुइरुई को फाइनल में 13–21, 22–20 21–19 से हराया। इस वर्ष की उनकी सबसे बडी सफलता 4 अगस्त 2012 को 2012 लंदन ओलम्पिक के महिला एकल के काँस्य पदक के रूप में सामने आई जब चीन की उनकी प्रतिद्वंदी वांग झिन ने चोट लगने की वजह से बीच मैच में अपना नाम वापस ले लिया। इसके बाद अक्टूबर में जर्मनी की जुलियान को फाइनल में हराकर उन्होंने डेनमार्क ओपेन खिताब भी जीता।

26 जनवरी 2014 को विश्व प्रतियोगिता की काँस्य पदक विजेता पी वी सिंधु को हराकर साइना इंडिया ओपन ग्रैंड प्रिक्स गोल्ड की विजेता बनी। मार्च 2014 में विश्व की चौथी वरीयता प्राप्त साइना चीन की वांग शिझियान से क़्वार्टर फाइनल में हारकर 2010 की आल इंगलैंड सुपर सीरीज प्रीमियर से बाहर हो गई। 2014 की ऑस्ट्रेलियन ओपेन सुपर सीरीज़ के सेमीफाइनल में शिझियान को हराकर उन्होंने आल इंगलैंड में हुई हार का बदला ले लिया। फाइनल में स्पेन की कैरोलिना मरीन को 21-18,21-11 से हराकर साइना ने ऑस्ट्रेलियन ओपेन सुपर सीरीज़ का खिताब अपने नाम कर लिया। इस जीत से वह विश्व में सातवें पायदान पर पहुँच गईं। इसी तरह से चाइना ओपन सुपर सीरीज़ प्रीमियर में जापान की अकाने यामागुची को 21-12,22-20 से हराकर यह खिताब जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं।

स्पेन की कैरोलीना मरीन को फाइनल में 19-21, 25-23, 21-16 से हराकर पिछली विजेता साइना ने 2015 का इंडिया ओपन ग्रैंड प्रिक्स गोल्ड खिताब जीत लिया। इसके ठीक पहले आल इंगलैंड बैडमिंटन प्रतियोगिता के फाइनल में पहुँचने वाली पहली भारतीय महिला बनते हुए साइना कैरोलिना से ही फाइनल में 21-16, 14-21, 7-21 से हार गयी थीं। 29 मार्च 2015 को थाइलैंड की रत्चानोक को इंडियन ओपन सुपर सीरीज़ के फाइनल में हराकर वह विश्व की शीर्ष वरीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बन गईं।

साइना नेहवाल की कुछ उपलब्धियां :-

  • 2005 में ‘एशियन सेटेलाइट बैडमिंटन जूनियर चेक ओपन’ का खिताब जीता।
  • 2005 में राष्ट्रमंडल युवा खेलों की स्पर्धा मे उन्होंने सात पदक जीतने में सफलता प्राप्त की।
  • 2006 में मनीला में ‘फिलीपिंस ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप’ जीत कर इतिहास रच डाला।
  • 2006 में विश्व रैकिंग में 30वें स्थान पर पहुंची।
  • उन्होंने नेशनल तथा सब जूनियर का खिताब जीता।
  • सायना दो बार सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में रनर-अप रही।

सायना नेहवाल के पुरस्कार :-

  • अर्जुन पुरस्कार (2009)
  • राजीव गाँधी खेल रत्न (2009-2010)
  • पद्म श्री (2010)
  • मंगलायतन विश्वविद्दालय की तरफ से डॉक्टरेट की मानक उपाधी।

सायना नेहवाल ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के महिला एकल मुकाबले में रजत पदक जीतकर भारत को गौरवान्वित किया है। विश्व चैंपियनशिप के इतिहास में सायना भले ही भारत को स्वर्ण पडल दिलाने में विफल रही पर वे उन भारतीय खिलाडियों के लिये प्रेरक बनकर जरुर उभरी है, जो खेल की दुनिया में कोई मुकाम हासिल करना चाहती है। यदि खेल में ईमानदारी से गंभीर प्रयास हो तो एक नहीं अनेक सायना और सानिया सरीखी देख का गौरव बढ़ाने आगे आ सकती है। जब कभी भी सायना से उनकी चाह के बारे में पूछा जाता तो वह हमेशा यही कहती, “मै हमेशा से एक ओलिंपिक पदक चाहती हूँ और भारत के राष्ट्रिय ध्वज को मंच पर हमेशा से उपर जाते हुए देखना चाहती हूँ।”

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