मेरा धर्म बहुत सरल है। मेरा धर्म दयालुता है।
पुराने दोस्त छूटते हैं और नए दोस्त बनते हैं। यह दिनों की तरह ही है। एक पुराना दिन बीतता है तो एक नया दिन आता है। लेकिन जरुरी है उसे सार्थक बनाना चाहे वह एक सार्थक मित्र हो या सार्थक दिन।
कभी-कभी कुछ कह कर लोग अपनी एक प्रभावशाली छाप बना देते हैं और कभी-कभी लोग चुप रहकर भी अपनी एक प्रभावशाली छाप बना देते हैं।
हम लोग अपनी क्षमताओं को जान कर और उनमे यकीन करके एक बेहतर विश्व का निर्माण कर सकते हैं।
हम इस बाहरी दुनिया में कभी भी शांति नहीं पा सकते हैं, जब तक की हमारे अन्दर शांति ना हों।
प्रसन्न रहना हमारे जीवन का उद्देश्य है।