भगवान महावीर अनमोल सुविचार

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"सुविचार - भगवान महावीर"

स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना? वह जो स्वयं पर विजय कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी।

पर दुख को, जो दुख न माने, पर पीड़ा में सदय न हो। सब कुछ दो पर प्रभु किसी को, जग में ऐसा हृदय न दो।

सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं, और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं।

भगवान् का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है। हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर के देवत्व प्राप्त कर सकता है।

आपने कभी किसी का भला किया हो तो उसे भूल जाओ। और कभी किसी ने आपका बुरा किया हो तो उसे भूल जाओ।

आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं, वो शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत।

एक व्यक्ति जलते हुए जंगल के मध्य में एक ऊँचे वृक्ष पर बैठा है। वह सभी जीवित प्राणियों को मरते हुए देखता है। लेकिन वह यह नहीं समझता की जल्द ही उसका भी यही हश्र होने वाला है। वह आदमी मूर्ख है।

किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को ना पहचानना है, और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त करके ठीक की जा सकती है।

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