जैसी करनी वैसी भरनी कहानी, Jaisi Karni Waisi Bharni Hindi Stories, अमृता अपने चाची के घर गई। अमृता की चाची एक मृग लेकर आयी। वह मृग सबका दुलारा बन गया। एक दिन मृग चुपचाप तण-पात खा रहा था। तभी उधर से एक वृषभ आया। वह वृषभ ह्रदय का बहुत बुरा था। वह मृग को मारने के लिए उसकी तरफ धीरे-धीरे बढ़ने लगा।
इसी बीच मृग की दृष्टी बृषभ पर पड़ी। वह उसकी नियत ताड़ गया। बस, फिर क्या था वह मृग उछल कर भागा। पीछे-पीछे वृषभ भी भागा। रास्ते में एक नाला आ गया, मृग कूद कर उस नाले को पार कर गया। मृग को नाला पार करते देख बृषभ भी नाले को पार करना चाहा पर वह नाले को पार नही कर सका और वह नाले में गिर गया। नाले में गिरने पर उसकी जान चली गई।
इसी लिये कहा गया है "जैसी करनी, वैसी भरनी।"
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