डिजिटल इंडिया

Indian Govt Digital India Schemes in Hindi, डिजिटल इंडिया के रुप में, एक महत्वकांक्षी कार्यक्रम का आरम्भ दिल्ली के इंदिरा गाँधी इनडोर स्टेडियम में 1 जुलाई (बुधवार) 2015 को हुआ था। इसकी शुरुआत विभिन्न प्रमुख उद्योगपतियों (टाटा समूह के अध्यक्ष साइरस मिस्त्री, आरआईएल अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी, विप्रो अध्यक्ष अज़ीम प्रेमजी आदि) की मौजूदगी में हुई। सम्मेलन में, गाँव से शहर तक भारत की बड़ी संख्या में डिजिटल क्रांति लाने के अपने विचार को इन लोगों ने साझा किया। 

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देश में 600 जिलों तक पहुँच के लिये सूचना तकनीक कंपनी की मौजूदगी में कई सारे कार्यक्रम रखे गये। देश को डिजिटल रुप से सशक्त बनाने के लिये भारतीय सरकार द्वारा लिया गया एक बड़ा कदम है डिजिटल इंडिया कार्क्रम। इस योजना से संबंधित विभिन्न स्कीमों को अनावृत किया जा चुका है (एक लाख करोड़ से ज्यादा की कीमत) जैसे डिजीटल लॉकर, ई-स्वास्थ्य, ई-शिक्षा, राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल, ई-हस्ताक्षर आदि।

डिजिटल इंडिया (Digital India) भारत सरकार की एक पहल है जिसके तहत सरकारी विभागों को देश की जनता से जोड़ना है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बिना कागज के इस्तेमाल के सरकारी सेवाएं इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनता तक पहुंच सकें। इस योजना का एक उद्देश्य ग्रामीण इलाकों को हाई स्पीड इंटरनेट के माध्यम से जोड़ना भी है। डिजिटल इंडिया के तीन कोर घटक हैं -

1- डिजिटल आधारभूत ढाँचे का निर्माण करना,
2- इलेक्ट्रॉनिक रूप से सेवाओं को जनता तक पहुंचाना,
3- डिजिटल साक्षरता।

योजना को 2019 तक कार्यान्वयित करने का लक्ष्य है। एक टू-वे प्लेटफॉर्म का निर्माण किया जाएगा जहाँ दोनों (सेवा प्रदाता और उपभोक्ता) को लाभ होगा। यह एक अंतर-मंत्रालयी पहल होगी जहाँ सभी मंत्रालय तथा विभाग अपनी सेवाएं जनता तक पहुंचाएंगें जैसे कि स्वास्थ्य, शिक्षा और न्यायिक सेवा आदि। चयनित रूप से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल को अपनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय सूचना केंद्र के पुनर्निर्माण की भी योजना है। यह योजना मोदी प्रशासन की टॉप प्राथमिकता वाली परियोजनाओं में से एक है। यह एक सराहनीय और सभी साझेदारों की पूर्ण समर्थन वाली परियोजना है। जबकि इसमें लीगल फ्रेमवर्क, गोपनीयता का अभाव, डाटा सुरक्षा नियमों की कमी, नागरिक स्वायत्तता हनन, तथा भारतीय ई-सर्विलांस के लिए संसदीय निगरानी की कमी तथा भारतीय साइबर असुरक्षा जैसी कई महत्वपूर्ण कमियाँ भी हैं। डिजिटल इंडिया को कार्यान्वयित करने से पहले इन सभी कमियों को दूर करना होगा।

डिजिटल इंडिया के सामने चुनौतियाँ :-

भारत सरकार की संस्था 'भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड' नेशनल ऑप्टिकल फाइबल नेटवर्क जैसी परियोजना को कार्यान्वयित करेगी जो डिजिटल इंडिया (Digital India) कार्यक्रम की देखरेख करेगा। बीबीएऩएल ने यूनाइटेड टेलीकॉम लिमिटेड को 250,000 गाँवों को एफटीटीएच ब्रॉडबैंड आधारित तथा जीपीओएन के द्वारा जोड़ने का आदेश दिया है। यह 2017 तक (अपेक्षित) पूर्ण होने वाली डिजिटल इंडिया परियोजना को सभी आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराएगी।

डिजिटल इंडिया (Digital India) भारत सरकार की आश्वासनात्मक योजना है। कई कम्पनियों ने इस योजना में अपनी दिलचस्पी दिखायी है। यह भी माना जा रहा है कि ई-कॉमर्स डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट को सुगम बनाने में मदद करेगा। जबकि, इसे कार्यान्वयित करने में कई चुनौतियाँ और कानूनी बाधाएं भी आ सकती हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि देश में डिजिटल इंडिया सफल तबतक नहीं हो सकता जबतक कि आवश्यक बीसीबी ई-गवर्नेंस को लागू न किया जाए तथा एकमात्र राष्ट्रीय ई-शासन योजना (National e-Governance Plan) का अपूर्ण क्रियान्वयन भी इस योजना को प्रभावित कर सकता है। निजता सुरक्षा, डाटा सुरक्षा, साइबर कानून, टेलीग्राफ, ई-शासन तथा ई-कॉमर्स आदि के क्षेत्र में भारत का कमजोर नियंत्रण है। कई कानूनी विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि बिना साइबर सुरक्षा के ई-प्रशासन और डिजिटल इंडिया व्यर्थ है। भारत ने साइबर सुरक्षा चलन ने भारतीय साइबर स्पेस की कमियों को उजागर किया है। यहाँ तक कि अबतक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा योजना 2013 अभी तक क्रियानवयित नहीं हो पायी है। इन सभी वर्तमान परिस्थियों में महत्वपूर्ण आधारभूत सुरक्षा का प्रबंधन करना भारत सरकार के लिए कठिन कार्य होगा। तथा इस प्रोजेक्ट में उचित ई-कचरा प्रबंधन के प्रावधान की भी कमी है।

इस देश को डिजिटल रुप से सशक्त देश बनाने के लिये भारतीय सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया (Digital India) अभियान चलाया जा रहा है। इस मुहिम का लक्ष्य कागजी कार्यवाही को घटाने के द्वारा भारतीय नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक सरकार की सेवा उपलब्ध कराने की है। ये बहुत ही प्रभावशाली और कार्यकुशल है जो बड़े स्तर पर समय और मानव श्रम की बचत करेगा। किसी भी जरुरी सूचना तक पहुँच के लिये तेज गति इंटरनेट नेटवर्क के साथ ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों से जुड़ने के लिये 1 जुलाई 2015 को इस पहल की शुरुआत की गयी थी। पूरे देश भर में डिजिटल संरचना का निर्माण, डिजिटल साक्षरता, डिजिटल तरीके से सेवा प्रदान करना जैसे डिजिटल इंडिया (Digital India) के तीन महत्वपूर्णं तत्व हैं। 2019 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य है। ये एक कार्यक्रम है जो सेवा प्रदाता और उपभोक्ता दोनों को फायदा पहुँचायेगा। इस कार्यक्रम की निगरानी और नियंत्रण करने के लिये डिजिटल इंडिया सलाहकार समूह (संचार एवं आईटी मंत्रालय के द्वारा संचालन) की व्यवस्था है।

ये योजना वास्तव में तेज गति की इंटरनेट सेवा के साथ दूर-दराज़ के गाँवों और ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ने के द्वारा खास तौर से भारत के ग्रामीण इलाकों में वृद्धि और विकास को सुनिश्चित करेगी। खुद प्रधानमंत्री के इस पूरे प्रोजेक्ट की निगरानी करेंगे। इंटरनेट की पहुँच में आने के बाद डिजिटल इंडिया के नागरिक अपने कौशल स्तर और ज्ञान में सुधार कर सकते हैं। ये एक महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट है जो हरेक को फायदा पहुँचायेगा खासतौर से गाँव वालों को जो कई कारणों से कागज़ी कार्य करने में लंबी दूरी तय करते हैं और समय तथा पैसा बर्बाद करते है। पहले से प्रचलित राष्ट्रीय ई-गर्वनेंस योजना का ये एक बहुत ही प्रभावशाली रुप (नो स्तंभों के साथ जो ब्रॉडबैण्ड हाइवे, लोक हित पहुँच कार्यक्रम, हर जगह मोबाईल कनेक्टिविटी, ई-क्रांति, ई-गर्वनेंस, सभी की सूचना, नौकरी के लिये आईटी, पूर्व फसल कार्यक्रम और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण) है।

भारतीय लोगों का डिजिटल सशक्तिकरण डिजिटल संसाधनों की वैश्विक पहुँच के द्वारा डिजिटल साक्षरता को वास्तव में मुमकिन बनाएगी। ऑनलाईन प्रमाणपत्र या जरुरी दस्तावेज़ों को जमा करने के लिये ये लोगों को सक्षम बनायेगी ना कि स्कूल, कॉलेज, कार्यालय या किसी संस्थान में भौतिक रुप से प्रस्तुति की जरुरत होगी। इस पहल के निम्न लक्ष्यों को सुनिश्चित करने के लिये भारतीय सरकार के द्वारा डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को लागू किया गया है।

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