प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा योजना

प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा योजना, Urja Ganga Project, प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा योजना पूर्वी भारत के सात शहरों-वाराणसी, रांची, कटक, पटना, जमशेदपुर, भुवनेश्वर और कोलकाता के लिए शहर गैस वितरण परियोजना है। 24 अक्टूबर, 2016 को इस परियोजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में किया था।

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इस योजना में लगने वाली राशि 5000 करोड़ तक की होगी, इस योजना का प्रमुख उद्देश्य वाराणसी के घरो में पानी की तरह गैस भी पहुँचाई जाये, इस योजना में सरकार की तरफ से पाइप लाइन बिछाई जाएगी, जिससे कि घरो में खाना बनाने वाली गैस घरो तक पहुँचाई जाये इस योजना में वाराणसी सहित चार राज्य , यूपी, बिहार, झारखंड और उड़ीसा सम्ल्लित किये गए है इन राज्यो में गैस पाइप बिछाई जाएगी, मोदी जी ने यह भी कहा के 3 साल के बाद वहां के घरो में पानी की तरहा गैस भी पहुचाये जाएगी।

ऊर्जा गंगा योजना की विशेषताएं:-

  • इस योजना की यह विशेषता बहुत अच्छी है कि इससे घरो में सीधे पाईप लाईन से गैस पहुँचाई जाएगी।
  • इस योजना में चार राज्य यूपी, बिहार, झारखण्ड और उड़ीसा के लिए 51000 करोड़ का बजट पास किया गया है।

ऊर्जा गंगा योजना के लक्ष्य:-

  • सरकार का यह उद्देश्य यह है। कि 3 साल तक हर घर में पाइप लाइन पहुँच जानी चाहिए।
  • इस योजना का प्रमुख उद्देश्य यह भी है कि पानी की तरह घरों में गैस भी पहुँचाई जाएगी।
  • उत्तर प्रदेश के गवर्नर, केंद्रीय मंत्री और रेलवे मंत्री, ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट मंत्री, हेल्थ फॅमिली वेलफेयर के राज्य मंत्री इस आयोजन पर उपस्थित थे।

ऊर्जा गंगा योजना के महत्वपूर्ण तथ्य:-

  • वाराणसी शहर में 50000 घरों को पी.एन.जी. कनेक्शन और 20000 वाहनों को सी.एन.जी. उपलब्ध कराने के लिए 20 स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा।
  • इसके लिए वाराणसी शहर में 800 किमी. लंबाई की एम.डी.पी.ई. (Medium Density Polyethylene) पाइपों का जाल बिछाया जाएगा।
  • एम.डी.पी.ई. घनत्व के आधार पर वर्गीकृत प्लास्टिक का एक प्रकार है, जिसका घनत्व 0.926-0.940 ग्रा./सेमी.3 होता है।
  • ऊर्जा-गंगा परियोजना गेल (GAIL) द्वारा निर्माणाधीन जगदीशपुर-हल्दिया-बोकारो-धर्मा पाइपलाइन प्रोजेक्ट (JHBDPL) का भाग है।
  • गेल (इंडिया) लिमिटेड भारत की सबसे बड़ी एकीकृत प्राकृतिक गैस कंपनी है।
  • JHBDPL पांच राज्यों-उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और प. बंगाल से गुजरती है।

ऊर्जा गंगा योजना कीआवश्यकता क्यों?

  • भारत कुल वैश्विक ग्रीन हाउस गैस का 4.1 प्रतिशत उत्सर्जन करता है।
  • पेरिस समझौते के अनुसार, भारत अपनी जीडीपी उत्सर्जन गहनता (Emission Intensity) में वर्ष 2030 तक 33-35 प्रतिशत तक की कटौती करने को प्रतिबद्ध है। इस जीडीपी उज्सर्जन गहनता का आधार वर्ष 2005 को माना जाएगा।
  • प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए यह आवश्यक है कि हम परंपरागत ऊर्जा स्रोतों पर से अपनी निर्भरता को कम करें।
  • अपेक्षाकृत स्वच्छ ऊर्जा-स्रोतों पर अपनी निर्भरता को बढ़ाने के एक विकल्प के रूप में ग्रामीण क्षेत्र में उपयोग हो रहे कोयला एवं लकड़ी को एल.पी.जी. से और शहरों में एल.पी.जी. को प्राकृतिक गैस से प्रतिस्थापित किया जा रहा है।
  • इसी कड़ी में ऊर्जा-गंगा परियोजना एक महत्वपूर्ण कदम है।

ऊर्जा गंगा योजना से लाभ:-

  • पाइपों में गैस भेजने से मानव ऊर्जा एवं समय की बचत होगी।
  • निर्बाध आपूर्ति के साथ सिलेंडर के पुनर्भरण का इंतजार खत्म होगा।
  • इस परियोजना से वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्रों में 5 लाख एल.पी.जी. कनेक्शन उपलब्ध कराया जा सकेगा।
  • गोरखपुर (उ.प्र.), बरौनी (बिहार), सिंदरी (झारखंड) में बंद पड़ी उर्वरक फैक्ट्रियों का पुनरुद्धार किया जाएगा। ये फैक्ट्रियां भी इस परियोजना से लाभान्वित होंगी।
  • भूमिगत पाइपलाइन से भूमि का परंपरागत उपयोग बना रहेगा।
  • उपभोक्ताओं के लिए मिलावट एवं गैस चोरी का खतरा नहीं रहेगा।
  • रख-रखाव पर कम खर्च।
  • इसमें प्रयोग की जाने वाली प्राकृतिक गैस का मुख्य घटक मीथेन है, जो अधिक दक्षता से जलता है।
  • नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
ऊर्जा गंगा योजना की सीमाएं:-
  • एक बार निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद परियोजना की क्षमता में वृद्धि नहीं की जा सकती है।
  • किसी एक स्थान पर मरम्मत कार्य से पूरा टर्मिनल प्रभावित होगा।
  • पाइपलाइनों की सुरक्षा का प्रबंध करना बहुत ही कठिन कार्य है।
  • अपनी इन सीमाओं के बावजूद भी यह परियोजना शहरी जीवन-शैली के अनुकूल है। इसे घरों, अस्पतालों, स्कूलों एवं अन्य औद्योगिक संस्थानों में ऊर्जा-स्रोत के बेहतर विकल्प के रूप में स्थापित किया जाना लाभकारी रहेगा।
  • भारत में उदगमित व भारत की सर्वाधिक लंबी नदी गंगा इन राज्यों से होकर बहती है।
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