कपिल देव का जीवन परिचय

Kapil Dev Biography In Hindi, कपिलदेव का जन्म 6 जनवरी, 1959 में चंडीगढ़ (पंजाब) में हुआ था। कपिलदेव (Kapil Dev) का पूरा नाम कपिलदेव रामलाल निखंज है। इनके पिता का नाम रामलाल निखंज एवं माता का नाम राजकुमारी लाजवंती है। इनका विवाह रोमी भाटिया के साथ हुआ है।

Kapil Dev Biography
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कपिलदेव (Kapil Dev) ने 1975 में प्रथम श्रेणी के क्रिकेट में प्रवेश किया। उन्होंने सन 1978 में, पाकिस्तान में प्रथम टेस्ट मैच खेला। सचिन तेंदुलकर से पहले कपिल ही ऐसे सबसे छोटी उम्र के बल्लेबाज थे जिन्होंने 1979 में, दिल्ली में, वेस्टइंडीज के विरुध्द खेलते हुये 126 रन बनाये और नाटआउट रहे।

भारतीय क्रिकेट दल में माध्यम तीव्र गति के गेंदबाजों की कामी को कपिल देव ने काफी हद तक दूर किया। उन्होंने अपनी प्रभावशाली मध्यम गति की तेज गेंदबाजी और बल्लेबाजी से जिन बुलंदियों को छुआ वह प्रशंसा के योग्य है।
अच्छी कदकाठी वाले कपिल देव अच्छे फैमिली से थे। कपिल देव (Kapil Dev) ने डीएवी पब्लिक स्कूल से स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी। कपिल ने 14 साल की उम्र मे ही देशप्रेम आजाद की गाइडेंस में किक्रेट खेलना शुरू कर दिया था। उनकी लाईफ में टर्निंग पॉइंट तब आया जब उन्होंने चंडीगढ़ में इंटर सैक्टर मैच खेला।

सैक्टरों के बीच होने वाले एक मैच में सैक्टर 16 की टीम में एक खिलाड़ी की कमी थी और कपिल देव हमेशा की तरह वहां मैच देखने गए हुए थे। फिर क्या था टीम ने कपिल को रिपलेसमेंट के तौर पर टीम में शामिल कर लिया। सैक्टर 16 की टीम में 3 खिलाड़ी ऐसे थे जो हरियाणा के लिए रणजी ट्रॉफी खेलते थे। ये तीनों कपिल के एटीट्यूड और टैलेंट से इतने प्रभावित हुए कि वह उसके बाद से हरियाण की रणजी टीम का हिस्सा बन गए।

कपिल देव ने भारतीय क्रिकेट को एक नई दिशा दी। हरियाणा के कपिल देव ने अपने ऑलराउंड खेल से हर क्रिकेट प्रेमी का दिल जीता। 21 साल और 27 दिन की आयु में कपिल देव (Kapil Dev) 1000 रन और 100 टेस्ट विकेट लेने वाले दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी बने। उन्होंने 2000 रन और 200 विकेट का डबल भी सबसे कम उम्र में पूरा किया। 1990 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ लॉर्ड्स के मैदान में भारत को फॉलोऑन से बचने के लिए 24 रनों की आवश्कता थी और पिच पर कपिल देव और नरेंद्र हिरवानी थे। एडी हेमिंग्स के ओवर की 4 बॉल बाकी थी और कपिल देव ने 4 बॉलों पर 4 शानदार छक्के मारे और इंडिया को फॉलोऑन से बचा लिया। इससे उनकी बैटिंग करने की क्वालिटी का पता चलता है। 1986 में कपिल देव की कप्तानी में ही भारत ने लॉर्ड्स में पहली टेस्ट जीत दर्ज की थी।

कपिल मे 17 साल की उम्र में 1975 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में पंजाब की टीम के खिलाफ डेब्यू किया। जिसमें उन्होंने धमाकेदार आगज करते हुए 39 रन देकर 6 विकेट लिए। इतनी शानदार शुरूआत के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद उन्होंने कई शानदार पारी खेली जिसके बाद 1978 में पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद में अपने इंटरनेशनल क्रिकेट की शुरूआत की।

कपिल देव (Kapil Dev) को उनके साथी खिलाड़ी हरियाणा हुयरिकेन के नाम से बुलाते थे। कपिल की बॉलिग की सबसे बड़ी खासियत उनकी आउट स्विंगर बॉल थी। जिसके बाद उनके करियर के बीच में इनस्विंग यॉर्कर डालने में उन्हें महारथ हासिल हो गई। इसी बीच कपिल ने लोअर ऑर्डर बैट्समैन के तौर पर अपनी बैटिंग में भी काफी सुधार किया। उनकी शानदार बैटिंग करने की काबिलियत का सबसे अच्छा नमूना 1983 के वर्ल्ड कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेले गए मैच में देखने को मिला। इस मैच में कपिल देव ने 175 रन की शानदार पारी खेली थी । हालांकि इस मैच का लाईव प्रसारण नहीं हुआ था।

1983 में कपिल देव (Kapil Dev) अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ दौर में थे। 1983 में ही सुनील गावस्कर को कप्तानी से हटाकर कपिल देव को इंडिया का कप्तान बनाया गया था। जिसके तुरंत बाद कपिल देव की कप्तानी में इंडिया ने अपना पहला वर्ल्ड कप जीता था। साल 1983 में ही उन्होंने आकड़ों के हिसाब से शानदार बॉलिंग की थी।
कपिल ने 1983 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अहमदाबाद टेस्ट में 83 रन देकर नौ विकेट लिए थे। वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम के खराब प्रदर्शन को लेकर कपिल देव को अपनी कप्तानी से हाथ धोना पड़ा और उनकी जगह दोबारा से सुनील गावसकर को कप्तानी मिली। लेकिन साल 1985 में कपिल देव को दोबारा टीम का कप्तान बनाया गया।

1987 के वर्ल्ड कप में सच्ची खेलभावना के लिए कपिल देव को हमेशा याद रखा जाता है। 1987 के वर्ल्ड कप में पहला मैच ऑस्ट्रेलिया और इंडिया के बीच में हुआ था। जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 268 रन बनाए थे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया की बैटिंग खत्म होने के बाद कपिल देव ने अंपायरों के साथ बातचीत की जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया को दो रन और दिए गए। कपिल देव ने अंपायरों को बताया कि मैच के दौरान एक सिक्स लगा था जिसे उन्होंने फोर दिया था। इस सबके चलते अब इंडिया को जीतने के लिए 269 की जगह 271 रन का टारगेट मिला। किस्मत को खेल भी कुछ ऐसा हुआ कि इंडिया की टीम केवल 269 रन ही बना पाई और 1 रन से मैच हार गई। कपिल देव की इस सच्ची खेलभावना के चलते मैच का नतीजा बिल्कुल बदल गया था। विज्डन क्रिकेटर एल्मनैक में भी इस बारे में बताया गया है।

अपने इस फैसले के चलते कपिल देव को कप्तानी से हटा दिया गया और वह कभी दोबारा टीम के कप्तान नहीं बने। कप्तान के तौर पर उनका बुरा समय भी रहा जब गावसकर के साथ झगड़े की बात सामनें आई और बॉलर के तौर पर उनका प्रर्दशन खराब हुआ। (इसी साल कपिल देव ने अपने घुटने की सर्जरी करवाई थी जिससे उनकी बॉलिंग स्पीड में भी कमी आई थी। )

इंडिया के फास्ट बॉलिग डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी 15 सालों तक कपिल के कंधों पर रही और अपने करियर में वह हमेशा इंडिया के लीडिंग फास्ट बॉलर रहे। कपिल देव (Kapil Dev) 1994 में क्रिकेट से रिटायर हो गए। जब वह रिटायर हुए तब उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड था , उन्होंने यह रिकॉर्ड रिचर्ड हैडली के रिकॉर्ड को तोड़कर बनाया था। कपिल के इस रिकॉर्ड को साल 2000 में कॉर्टनी वॉल्स तोड़ा। कपिल देव आज भी क्रिकेट के इतिहास में अकेले ऐसे प्लेयर हैं जिसने टेस्ट मैचों में 400 (434) से अधिक विकेट लेने के साथ साथ 5000 से ज्यादा रन भी बनाए हैं।

उनकी यही खासियत उन्हें इस खेल में दुनिया के महान ऑल राउंडरों में से एक बनाती है। 8 मार्च 2010 में कपिल देव को आईसीसी क्रिकेट हॉल ऑफ फेम में शामिल किया। रिटायरमेंट के बाद 1999 में कपिल देव को इंडियन क्रिकेट टीम को कोच बनाया गया। कोच के तौर पर कपिल देव सफल नहीं रहे उनके कोच रहते टीम को केवल एक टैस्ट मैच में ही जीत नसीब हुई। 2000 में कपिल देव को कोच के पद से हटाकर जॉन राईट को कोच बनाया गया।

इस तिलिस्मानी क्रिकेटर का नाम भी करियर के दौरान और बाद में कई विवादों से जुड़ा। इनमें से एक विवाद साल 2000 का रहा। साल 2000 में कपिल देव के साथी खिलाड़ी रहे मनोज प्रभाकर ने कपिल देव पर मैच फिक्सिंग करने का आरोप लगाया था। मनोज प्रभाकर ने कपिल पर आरोप लगाया था कि कपिल ने 1994 में पाकिस्तान के खिलाड़ साथी खिलाड़ियों को खराब प्रदर्शन करने को कहा था। जिसके चलते अगस्त 2000 में कपिल देव को इंडिया के कोच के पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

मई 2007 में कपिल देव ने जी टीवी ग्रुप के साथ मिलकर इंडियन क्रिकेट लीग की शुरूआत की थी। जिसका बीसीसीआई ने बहुत कड़ा विरोध किया और उन सभी खिलाड़ियों पर प्रतिबंध लगा दिया जो आईसीएल का हिस्सा बने थे। आईसीएल शुरू करने के एक दिन बाद ही अगस्त 2007 मे कपिल देव (Kapil Dev) को नेशनल क्रिकेट अकेडमी के चैयरमैन पर से भी हटा दिया गया।

इन्हें 1979-1980 मे अर्जुन अवार्ड, 1982 मे पदमश्री, 1983 मे वेस्टन क्रिकेट ऑफ द इयर, 1991 मे पदम् भूषण, 2002 मे विस्डन इंडियन क्रिकेट ऑफ द सेंचुरी, 2010 मे ICC cricket Hall of fame, 2013 मे The 25 Greatest Global living Legends in india By NDTV, 2013 मे सी. के. नायडू लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला ।

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