गौतम बुद्ध के अनमोल सुविचार

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"सुविचार - गौतम बुद्ध"

एक शुद्ध निःस्वार्थ जीवन जीने के लिए, एक व्यक्ति को प्रचुरता में भी कुछ भी अपना नहीं है ऐसा भरोसा करना चाहिए।

वह जो पचास लोगों से प्रेम करता है उसके पचास संकट है, वह जो किसी से प्रेम नहीं करता उसके एक भी संकट नहीं है।

सत्य के मार्ग पर चलते हुए कोई दो ही गलतियाँ कर सकता है। पूर्ण रास्ता ना तय करना और इनकी शुरूआत ही ना करना।

आकाश में पूरब और पश्चिम का कोई भेद नहीं है,लोग अपने मन में भेदभाव को जन्म देते हैं और फिर यह सच है ऐसा विश्वास करते हैं।

अपने बराबर या फिर अपने से समझदार व्यक्तियों के साथ सफ़र कीजिए, मूर्खों के साथ सफ़र करने से अच्छा है अकेले सफ़र करना।

मौत-एक विचलित मन वाले व्यक्ति को उसी तरह से बहा कर ले जाती है, जिस तरह से बाढ़ में एक गांव के (नींद में डूबे हुए) लोग बह जाते हैं।

क्रोधित रहना, जलते हुए कोयले को किसी दूसरे व्यक्ति पर फेंकने की इच्छा से पकड़े रहने के समान है यह सबसे पहले आप को ही जलाता है।

खुशी इस बात पर निर्भर नहीं करती है कि आप क्या हो या आप कौन हो, खुशी पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है कि आप क्या सोचते हो।

आपके पास जो कुछ भी है उसे बढ़ा-चढ़ाकर मत बताईये और ना ही दूसरों से ईर्ष्या कीजिए, जो दूसरों से ईर्ष्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती।

आपके पास जो कुछ भी है, उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से ईर्ष्या कीजिये। जो दूसरों से ईर्ष्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती।

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