ओशो के अनमोल सुविचार

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"सुविचार - ओशो"

जब मैं कहता हूँ कि आप देवी-देवता हैं तो मेरा मतलब होता है कि आप में अनंत संभावनाएं है, आपकी क्षमताएं अनंत हैं।

किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है आप स्वयं में जैसे हैं एकदम सही हैं। खुद को स्वीकारिये।

अर्थ मनुष्य द्वारा बनाये गए हैं। और क्योंकि आप लगातार अर्थ जानने में लगे रहते हैं, इसलिए आप अर्थहीन महसूस करने लगते हैं।

मित्रता शुद्ध तम प्रेम है। ये प्रेम का सर्वोच्च रूप है जहाँ कुछ भी नहीं माँगा जाता, कोई शर्त नहीं होती, जहां बस देने में आनंद आता है।

जैन लोग बुद्ध को इतना प्रेम करते हैं कि वो उनका मज़ाक भी उड़ा सकते हैं। यह उनके अथाह प्रेम की वजह से है कि उनमें डर नहीं है।

जेन एकमात्र धर्म है जो एकाएक आत्मज्ञान सीखता है। इसका कहना है कि आत्मज्ञान में समय नह लगता, ये बस कुछ ही क्षणों में हो सकता है।

अधिक से अधिक भोले, कम ज्ञानी और बच्चों की तरह बनिए। जीवन को मजे के रूप में लीजिये – क्योंकि वास्तविकता में यही जीवन है।

उस तरह मत चलिए जिस तरह डर आपको चलाये। उस तरह चलिए जिस तरह प्रेम आपको चलाये। उस तरह चलिए जिस तरह ख़ुशी आपको चलाये।

आत्मज्ञान एक समझ है कि यही सब कुछ है, यही बिलकुल सही है, बस यही है। आत्मज्ञान कोई उपलब्धि नहीं है, यह ये जानना है कि ना कुछ पाना है और ना कहीं जाना है।

जिस दिन आप ने सोच लिया कि आपने ज्ञान पा लिया है, आपकी मृत्यु हो जाती है- क्योंकि अब ना कोई आश्चर्य होगा, ना कोई आनंद और ना कोई अचरज। अब आप एक मृत जीवन जीएंगे।

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