ओशो के अनमोल सुविचार

Advertisement

"सुविचार - ओशो"

यदि आप एक दर्पण बन सकते हैं तो आप एक ध्यानी बन सकते हैं। ध्यान दर्पण में देखने की कला है। और अब, आपके अन्दर कोई विचार नहीं चलता इसलिए कोई व्याकुलता नहीं होती।

आप जितने लोगों को चाहें उतने लोगों को प्रेम कर सकते हैं- इसका ये मतलब नहीं है कि आप एक दिन दिवालिया हो जायेंगे, और कहेंगे, अब मेरे पास प्रेम नहीं है”। जहाँ तक प्रेम का सवाल है आप दिवालिया नहीं हो सकते।

नोट :- आपको ये पोस्ट कैसी लगी, कमेंट्स बॉक्स में जरूर लिखे और शेयर करें, धन्यवाद।

Advertisement
Advertisement

Related Post

Categories