दुर्गा माता जी की आरती

दुर्गा माता जी की आरती (Durga Mata Aarti In Hindi) देवी दुर्गा का निरूपण सिंह पर सवार एक निर्भय स्त्री के रूप में की जाती है। दुर्गा देवी आठ भुजाओं से युक्त हैं जिन सभी में कोई न कोई शस्त्रास्त्र होते है। उन्होने महिषासुर नामक असुर का वध किया। हिन्दू ग्रन्थों में वे शिव की पत्नी दुर्गा के रूप में वर्णित हैं। जिन ज्योतिर्लिंगों मैं देवी दुर्गा की स्थापना रहती है उनको सिद्धपीठ कहते है। वँहा किये गए सभी संकल्प पूर्ण होते है।

Durga Mata Religious Aarti
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"आरती"

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत।
मैयाजी को निस दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी॥ जय अम्बे गौरी॥

माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को। मैया टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको॥ जय अम्बे गौरी॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे। मैया रक्ताम्बर साजे।
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे॥ जय अम्बे गौरी॥

केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी। मैया खड्ग कृपाण धारी।
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी॥ जय अम्बे गौरी॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती। मैया नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति॥ जय अम्बे गौरी॥

शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर घाती। मैया महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती॥ जय अम्बे गौरी॥

चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे। मैया शोणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे॥ जय अम्बे गौरी॥

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी। मैया तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी॥ जय अम्बे गौरी॥

चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों। मैया नृत्य करत भैरों।
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू॥ जय अम्बे गौरी॥

तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता। मैया तुम ही हो भर्ता।
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता॥ जय अम्बे गौरी॥

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी। मैया वर मुद्रा धारी।
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी॥ जय अम्बे गौरी॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती। मैया अगर कपूर बाती।
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती॥ बोलो जय अम्बे गौरी॥

माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे। मैया जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे॥ जय अम्बे गौरी॥

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