रविदास के दोहे

Advertisement

"दोहा"

"चारि बेद जाकै सुमृत सासा।
भगति हेत गावै रैदासा।।"

"सिव सनिकादिक अंत न पाया।
"खोजत ब्रह्मा जनम गवाया।।"

"बांधू न बंधन छांऊं न छाया।
तुमहीं सेऊं निरंजन राया।।"

"चरन पताल सीस असमांना।
"सो ठाकुर कैसैं संपटि समांना।।"

"तोडूं न पाती पूजौं न देवा।
सहज समाधि करौं हरि सेवा।।"

"नख प्रसेद जाकै सुरसुरी धारा।
रोमावली अठारह भारा।।"

नोट :- आपको ये पोस्ट कैसी लगी, कमेंट्स बॉक्स में जरूर लिखे और शेयर करें, धन्यवाद।

Advertisement
Advertisement

Related Post

Categories