"चारि बेद जाकै सुमृत सासा।
भगति हेत गावै रैदासा।।"
"सिव सनिकादिक अंत न पाया।
"खोजत ब्रह्मा जनम गवाया।।"
"बांधू न बंधन छांऊं न छाया।
तुमहीं सेऊं निरंजन राया।।"
"चरन पताल सीस असमांना।
"सो ठाकुर कैसैं संपटि समांना।।"
"तोडूं न पाती पूजौं न देवा।
सहज समाधि करौं हरि सेवा।।"
"नख प्रसेद जाकै सुरसुरी धारा।
रोमावली अठारह भारा।।"
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