रतन टाटा के प्रसिद्ध ज्ञानवर्धक विचार

Advertisement

ज्ञानवर्धक विचार

हम सभी के पास समान योग्यता नहीं है, लेकिन हमारे पास अपनी प्रतिभा को विकसित करने के लिए समान अवसर है।

लोहे को कोई भी नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन उसका अपना जंग उसे नष्ट कर देता है। ठीक इसी तरह व्यक्ति को उसकी अपनी मानसिकता नष्ट कर सकती है।

अगर आप तेज चलना चाहते है, तो अकेले चलिए। लेकिन अगर दूर तक जाना चाहते है तो साथ-साथ चलिए।

मैं उन लोगों की प्रसंशा करता हूं जो बहुत सफल हैं। लेकिन अगर वह सफलता बहुत ज्यादा निर्ममता से हासिल हो, तो मैं उस व्यक्ति की प्रसंशा तो करूँगा, लेकिन इज्जत नहीं।

जिन जीवन मूल्यों और नीतियों को मैं जीवन में जीता रहा हूँ, इसके अतिरिक्त मैं जो संपंदा अपने पीछे छोड़ना चाहता हूं, वह यह है कि आप हमेशा जिस चीज को सही माने उसके साथ डट कर खड़े रहे और जहां तक संभव हो निष्पक्ष बने रहे।

हो सकता है, कि मेरे निर्णयों से कई लोग दुःखी हो, लेकिन मैं उस व्यक्ति के रूप में पहचाना जाना चाहता हूँ, जिसने कभी किसी भी परिस्थिती में सही काम को सही ढ़ग से करने के लिए समझौता नहीं किया।

हर व्यक्ति में कुछ-न-कुछ विशेष गुण और प्रतिभा होती है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने अंदर मौजूद गुणों और प्रतिभा को पहचानना चाहिए।

हमें सफल व्यक्तियों से प्रेरणा लेनी चाहिए कि - अगर वे सफल हो सकते है, तो हम क्यों नहीं? परंतु प्रेरणा लेते समय आंखे खुली रखनी चाहिए।

मुझे आशा है, आज से सौ साल बाद टाटा उपक्रम बहुत बड़ा होगा और भारत में सबसे श्रेष्ठ उपक्रम होगा। श्रेष्ठ होगा अपने काम करने के तरीकों के लिए, श्रेष्ठ होगा बेहतरीन वस्तुओं के उत्पादन के लिए और श्रेष्ठ होगा अपनी नीति और व्यवहारकुशलता के लिए।

अगर कोई भी कार्य जन-साधारण के मापदंड़ों पर खरा उतरता है, तो उसे जरूर करे लेकिन अगर नहीं उतरता हो तो बिलकुल न करे।

वह व्यक्ति जो दूसरों की नकल करता है, कुछ समय के लिए तो सफल हो सकता है, परंतु जीवन में बहुत आगे नहीं बढ़ पाता।

Advertisement
Advertisement

Related Post

Categories