जाग, उठ भई भोर

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Jaag Uth Bhai Bhor Hindi Rhymes
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"कविता"

सूरज उगा, बजाया बाजा, दुनिया देखो जागी।

काली रात छिपा मुहं अपना, पश्चिम को भागी।

हवा ने सारंगी छेड़ी, चिड़िया गाएं गीत।

झूम-झूमकर कलियां नाचे, संग-संग भौरें मीत।

बूटोवाली साड़ी पहने, तितलियाँ इतराएँ।

कल-कल, छल-छल करती नदियाँ दौड़ी-दौड़ी जाएं।

कूद-फांद झरने पहाड़ से, मचा रहे हैं शोर।

माँ आकर कहती है- बेटा, जाग, उठ भई भोर।

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