जो भजे हरि को सदा - हरि भजन

जो भजे हरि को सदा, Jo Bhaje Hari Ko Sada Hari Bhajan, हिन्दू धर्म के आधारभूत ग्रन्थों में बहुमान्य पुराणानुसार विष्णु परमेश्वर के तीन मुख्य रूपों में से एक रूप हैं। पुराणानुसार विष्णु की पत्नी लक्ष्मी हैं। विष्णु का निवास क्षीर सागर है। उनका शयन शेषनाग के ऊपर है। उनकी नाभि से कमल उत्पन्न होता है जिसमें ब्रह्मा जी स्थित हैं।

Jo Bhaje Hari Ko Sada Hymn - Prayer
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"हरि भजन"

जो भजे हरि को सदा सो परम पद पायेगा,

देह के माला तिलक और भस्म नहिं कुछ काम के,

प्रेम भक्ति के बिना नहिं नाथ के मन भायेगा।

दिल के दर्पण को सफ़ा कर दूर कर अभिमान को,

खाक हो गुरु के चरण की तो प्रभु मिल जायेगा।

छोड़ दुनिया के मज़े और बैठ कर एकांत में,

ध्यान धर हरि के चरण का फिर जनम नहीं पायेगा।

दृढ़ भरोसा मन में रख कर जो भजे हरि नाम को,

कहत ब्रह्मानंद ब्रह्मानंद में ही समायेगा।

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