हिंदी कविता - Hindi Rhymes


चिड़िया के थे बच्चे चार

Chidiya Ke Bachche Chaar Hindi Rhymes

चिड़िया के थे बच्चे चार घर से निकले पंख पसार। दूर-दूर तक घूम के आये घर आकर के वे चिल्लाए। देख लिया हमने जग सारा अपना घर है सबसे प्यारा। . . . Read More . . .

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भूल गया है क्यों इंसान

Bhool Gaya Kyon Insaan Hindi Rhymes

सबकी है मिट्टी की काया, सब पर नभ की निर्मल छाया। यहाँ नहीं कोई आया है, ले विशेष वरदान, भूल गया है क्यों इंसान? धरती ने मानव उपजाए, मानव ने ही देश बनाए। बहु देशों में बसी हुई है, एक धरा-संतान। भूल गया है क्यों इंसान? देश अलग है, देश अलग हों, वेश अलग हो, वेश अलग हों। मानव का मानव से लेकिन, अलग न अंतर प्राण। भूल गया है क्यों इंसान? . . . Read More . . .


हम कुछ करके दिखलाएँगे - कविता

Ham Kuchh Karake Dikhalaenge Hindi Rhymes

है शौक यही, अरमान यही, हम कुछ करके दिखलाएँगे, मरने वाली दुनिया में हम, अमरों में नाम लिखाएँगे। जो लोग गरीब भिखारी हैं, जिन पर न किसी की छाया है, हम उनको गले लगाएँगे, हम उनको सुखी बनाएँगे। जो लोग अँधेरे घर में हैं, अपनी ही नहीं नजर में हैं, हम उनके कोने कोने में, उद्यम का दीप जलाएँगे। जो लोग हारकर बैठे हैं, उम्मीद मारकर बैठे हैं, हम उनके बुझे दिमागों में, फिर से उत्साह . . . Read More . . .

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कायर और हिम्मती

Kayar Aur Himmati Hindi Rhymes

सच है विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है। सूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते। विध्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। है कौन विध्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में। ख़म ठोके ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड। मानव जब जोर लगता है, पत्थर पानी बन जाता है। गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर। मेंहदी में . . . Read More . . .

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एक बूँद - हिंदी कविता

Ek Boond Poem Hindi Rhymes

ज्यों निकलकर बादलों की गोद से, थी अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी। सोचने फिर-फिर यही जी में लगी, आह! क्यों घर छोड़कर मैं यों चली। देव! मेरे भाग्य में है क्या बता। मैं बचूँगी या मिलूँगी धुल में? या जलूँगी गिर अंगारे पर किसी, या पहुचुंगी कमल के फूल में? . . . Read More . . .


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