ओशो के अनमोल वचन

Advertisement

ओशो के अनमोल वचन

“शुद्ध का अर्थ है – प्रमादी. शुद्ध का अर्थ है – सोया हुआ। शुद्ध का अर्थ है – आलस्य, तमस से घिरा हुआ। शुद्ध का अर्थ है – जो कुछ भी नहीं कर रहा है, न बाहर जा रहा है न भीतर जा रहा है, जो प्रमाद में, अंधेरे में सोया रह गया है।“

“कर्म नहीं बांधते, करता बांध लेता है, कर्म नहीं छोड़ता है, करता छूट जाये तो छुटना हो जाता है।“

“सिर्फ आपके पाप ही आपको दुखी कर सकते है। जो आपको अपने आप से दूर ले जाने की कोशिश करते है, ऐसी चीज़ों को अनदेखा करना ही बेहतर होगा।“

“जो विचार के गर्भ धान के विज्ञान को समझ लेता है वह उससे मुक्त होने का मार्ग सहज ही पा जाता है।“

“वह इंसान जो अकेले रहकर भी खुश है असल में वही इंसान कहलाने योग्य है। यदि आपकी ख़ुशी दूसरों पर निर्भर करती है तो आप एक गुलाम हो। अभी आप पूरी तरह से मुक्त नहीं हुए हो अभी आप बंधन (गुलामी) में बंधे हो।“

“एक शराबी बने, जिसमें जीवन के अस्तित्व की शराब को पिए। कभी भी मासूम ना बने, क्योंकि मासूम हमेशा मरे हुए होते है।‘

“आत्महत्या आपको कही नहीं ले जाती। साधारणतः यह हमें हमारी चेतना (गर्भाशय) में छोटे रूप (स्तर) में ले जाती है। क्योंकि आत्महत्या से ये साबित होता है की हम बड़े रूप (स्तर) में जीने के काबिल नहीं है।“

“आधे-अधूरे ज्ञान के साथ कभी आगे ना बढे। ऐसा करने पर आपको लगेगा कि आप अज्ञानी हो, और अंत तक अज्ञानी ही बने रहोगे।“

“वह इंसान जो अकेले रहकर भी खुश है असल में वही इंसान कहलाने योग्य है। यदि आपकी ख़ुशी दूसरों पर निर्भर करती है तो आप एक गुलाम हो। अभी आप पूरी तरह से मुक्त नहीं हुए हो अभी आप बंधन (गुलामी) में बंधे हो।“

“वह इंसान जो भरोसा करता है वह जिंदगी में आराम करता है। और वह इंसान जो भरोसा नहीं करता वह परेशान, डरा हुआ और कमजोर रहता है।“

Advertisement
Advertisement

Related Post

Categories